मधेपुरा में बारिश नहीं होने से जिले में सुखाड़ का है आलम, फसल हो रही बर्बाद
मधेपुरा जिले का वह इलाका जहां बारिश नहीं होने के कारण खेत दरक रहे है. खेतों में लगे हजारों एकड़ धान फसल बर्बाद हो रहा है. सरकारी स्तर पर सिचांई का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पा रहा है. किसान भगावन भरोसे खेतों में पंप सेट के सहारे सिंचाई कर रहे हैं.
मधेपुराः मधेपुरा में इंद्र भगवान के साथ-साथ सरकार भी किसानों के साथ मजाक कर रही है. किसान खेतों में लगे धान फसल देख बदहवास हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने के कारण जिले भर में सुखाड़ का आलम है. समय पर पानी नहीं मिलने के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते सरकार मुआवजा और डीजल अनुदान नहीं देती तो मजबूरन किसान आत्महत्या कर सकते हैं. वहीं जिला कृषि पदाधिकारी ने स्वीकार करते हुए कहा कि जिले में सुखाड़ की स्थिति है.
खेतों में फसल हो रही बर्बाद
मधेपुरा जिले का वह इलाका जहां बारिश नहीं होने के कारण खेत दरक रहे है. खेतों में लगे हजारों एकड़ धान फसल बर्बाद हो रहा है. सरकारी स्तर पर सिचांई का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पा रहा है. किसान भगावन भरोसे खेतों में पंप सेट के सहारे सिंचाई कर रहे हैं. किसानों की माने तो सरकारी स्तर पर अभी तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
क्या कहते है किसान
किसानों ने कहा कि अगर समय पर सरकार की ओर से मुआवजा नहीं मिला तो पीड़ित किसानों को मजबूर आत्महत्या करनी पड़ेगी. इस मामले को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन ने खुद स्वीकार किया है. कि सुखार की स्थिति काफी चिंतित है. किसानों को डीजल अनुदान भरोसा दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रति एकड़ 700 रुपये की दर से किसानों को तीन सिंचाई हेतु मिलेगा. डीजल अनुदान अधिकतम आठ एकड़ तक ही दिया जाएगा. मुवावजे की रकम के साथ ही किसानों को पूरे जिले में अब तक लक्ष्य के अपेक्षा 94 हजार हेक्टियार के अनुरूप मात्र 89 हजार धान की रोपनी हुई है. बहरहाल सरकारी स्तर पर अब तक 30 हजार किसानों के खाते में लगभग 60 लाख की रकम भेज दी गई है शेष बचे रकम जैसे ही सरकार से प्राप्त होता है वैसे किसानों को डीजल अनुदान के रूप में सीधा उनके खाते में दे दिया जाएगा.
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