मिथिला की मांग को लेकर अभी तक सरकार की तरफ से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन बिहार से अलग मिथिला राज्य गठन की मांग बार-बार सुर्खियों में रहती है. मैथिली भाषी लोगों की संख्याबल की बात की जाय तो 7 करोड़ से अधिक लोगों का अस्तित्व से जुड़ा हुआ है.
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पटनाः मिथिला राज्य बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर मिथिलांचल में रहने वाले लोगों ने धरना प्रदर्शन किया. मिथिला राज्य की मांग दशकों से अंदोलन करते आ रहे है. पहली बार मिथिला राज्य की मांग 1912 में की गई थी. इसके बाद 1921 में महाराजा रामेश्वर सिंह के द्वारा मांग की गई, लेकिन पहली बार मिथिला राज्य के लिए आंदोलन 1952 में हुआ, जिसके बाद से ये मामला बार-बार तूल पकड़ रहा है. मिथिलांचल में रहने वाले लोग सरकार से शिकायत कर रहे हैं कि कोई भी योजना परियोजना आती है तो उसको मगध में दे दिया जाता है. मिथिलांचल को आज तक कुछ नहीं मिला इसलिए हम मांग करते हैं कि मिथिला को अलग राज्य बनाए केंद्र सरकार और यह मांग करीब 100 साल पुरानी है.
मिथिला पर सरकार ने नहीं लिया कोई ठोस निर्णय
मिथिला की मांग को लेकर अभी तक सरकार की तरफ से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन बिहार से अलग मिथिला राज्य गठन की मांग बार-बार सुर्खियों में रहती है. मैथिली भाषी लोगों की संख्याबल की बात की जाय तो 7 करोड़ से अधिक लोगों का अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. मैथली भाषा भी संविधान के अष्टम अनुसूची में दर्ज है.
सौ साल से मिथिला के लोग कर रहे मांग
अनूप मैथली तो संगठन के पदाधिकारी ने बताया कि हम 100 साल से मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार अभी तक हमारी बात सुनी नहीं है और मिथिलांचल में जो विकास के काम होने चाहिए. वह भी नहीं हो रहा है इसको लेकर हम सब नाराज हैं और मिथिला के हर एक इंसान एक ही बात कहता है. वही है कि हमें मिथिलांचल एक अलग राज्य के रूप में चाहिए.
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