पटनाः Margshirsh Month:महाभारत में जब श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे वह सभी श्रेष्ठ को अपना रूप बता रहे थे. इस दौरान श्रीकृष्ण कहते हैं, बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्, मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः. श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- गायी जानेवाली श्रुतियोंमें बृहत्साम और वैदिक छन्दोंमें गायत्री छन्द मैं हूँ. बारह महीनोंमें मार्गशीर्ष और छः ऋतुओंमें वसन्त मैं हूँ. 


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श्रीकृष्ण खुद को बताते हैं मार्गशीर्ष मास
लोक भाषा में मार्गशीर्ष मास का अगहन नाम है. अगहन को शुद्ध रूप में समझें तो यह अर्घ्यहन नाम से जाना जाता है. अर्थात इस माह में सिर्फ सूर्यदेव को अर्ध्य देने भर से यज्ञों का फल प्राप्त होता है. इसीलिए श्रीकृष्ण खुद को मार्गशीर्ष माह बताते हैं. आज मार्गशीर्ष मास का पहला गुरुवार है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है.


मां लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न
इस दिन भगवान विष्णु को अपना आराध्य देव मानकर विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती है. पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु की पूजा करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और जब मां लक्ष्मी एक बार प्रसन्न हो जाएँ तो उस भक्त के घर परिवार में कभी धन की कमी नहीं होती है. साथ ही भक्त को धन, यश, सम्मान और वैभव की प्राप्ति होती है.


पीले रंग के वस्त्र धारण करें
भगवान विष्णु को पीला और लाल वस्त्र बेहद प्रिय है. उपासक को गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीला वस्त्र धारण करना चाहिए और हल्दी का टीका लगाना चाहिए. इससे विष्णु भगवान खुश होते हैं और अपना आशीर्वाद भक्त पर बरसाते हैं.


केले के पेड़ की पूजा करें
गुरुवार के दिन केले के पौधे के सामने घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की स्तुति करनी चाहिए. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.


गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
घर के मंदिर में मिट्टी के एक पात्र में जल भरकर रख दें. उस जल में पीले रंग का एक पुष्प, पीले चावल पांच कसैली और एक सिक्का डालकर उसे पीले वस्त्र से ढंक दीजिए. सायंकाल से पहले पात्र सहित उस जल को किसी विष्णु मंदिर में अर्पित कर दीजिए.


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