NEET: ऑटो चालक की बेटी और शिक्षक के बेटे ने नीट परीक्षा में पाई सफलता, बढ़ाया जिले का नाम
बिहार और झारखंड से इस बार बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. तमाम परेशानियों के बावजूद भी कई बच्चे ऐसे रहे जिन्होंने इस परीक्षा में बेहतरीन सफलता अर्जित की है.
NEET Result: बिहार और झारखंड से इस बार बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. तमाम परेशानियों के बावजूद भी कई बच्चे ऐसे रहे जिन्होंने इस परीक्षा में बेहतरीन सफलता अर्जित की है. ऐसी ही एक धनबाद के सिंदरी की मनोहर टांड़ बस्ती के रहने वाले ऑटो चालक भैरव पाल की बेटी प्रिया पाल है जिसने नीट परीक्षा में 612 अंक लाकर सफलता हासिल की है. इस सफलता के बाद से प्रिया को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. प्रिया के पिता सिंदरी में ऑटो रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. बेटी की इस सफलता पर पिता खुश हैं.
प्रिया पॉल ने बताया कि वह डॉक्टर बनकर देश व लोगों की सेवा करना चाहती है. उसने आगे बताया कि वह सिंदरी से नीट की तैयारी किया करती थी. उसने अपनी सफलता का श्रेय परिजनों व शिक्षकों को दिया. कहा कि शिक्षकों ने राह दिखाई तो वहीं उसे परिजनों ने स्वतंत्र रूप से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया. प्रिया को 98.89 पर्सेंटाइल के साथ पूरे भारत में 22393 वीं रैंक मिली है. वहीं प्रिया के पिता भैरव पाल ने बताया की बेटी की सफलता से हम सब खुश हैं.
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640 अंक लाकर रोहित ने नीट में लहराया परचम
अगर कड़ी मेहनत का सहारा हो तो कठिन लक्ष्य भी आसान हो जाता है. इसे सही साबित किया है जहानाबाद के रोहित कुमार ने. उसने नीट की परीक्षा में परचम लहराया है. उसने 720 में 640 अंक प्राप्त कर अपने परिवार के साथ साथ जिले का मान बढ़ाया है. सफल छात्र रोहित के पिता सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं जबकि उसकी मां गृहणी है. घर में चाचा-चाची और दादी के अलावा तीन बहन है. रोहित घर का इकलौता बेटा है. अपने पुत्र की सफलता पर गौरवान्वित हो रहे पिता ने बताया कि उनका पुत्र बचपन से ही पढ़ने में मेधावी था. रोहित ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा जहानाबाद के निजी विद्यालय से प्राप्त की. उसके बाद भविष्य में डॉक्टर बनने की तैयारी को लेकर वह कोटा चला गया और पहले ही प्रयास में नीट परीक्षा में सफलता हासिल की. सफल छात्र रोहित ने बताया कि उसने अपने चाचा के अधूरे सपने को सच कर दिया है. उनके चाचा भी डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन संसाधनों के अभाव वह नहीं बन पाये. रोहित अपनी सफलता का श्रेय अपने पूरे परिवार वालों को देते हुए कहता है कि चाचा से कुछ करने का प्रेरणा मिली. हमेशा हमारी हर परिस्थितियों में हमारा परिवार खड़े रहे इसका नतीजा है कि हमने नीट में बेहतर किया.