Patna: पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम रविवार को आ गया. पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने शानदार प्रदर्शन किया है.  पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटों में से 292 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था. इनमें से 213 सीटों पर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) की जीत हुई है. इसके साथ ही बंगाल की जनता ने तीसरी बार राज्य के सत्ता की चाभी बनर्जी के हाथ में एक बार फिर से सौंप दी है.


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वहीं, TMC की जीत पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने भी ट्वीट कर सोमवार को उन्हें बधाई दी है. बिहार के नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने ट्वीट में लिखा, 'पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तीसरी बार विजय हासिल करने पर तृणमूल कांग्रेस पार्टी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.' लेकिन, हैरानी की बात यह है कि अपने ट्वीट में ममता बनर्जी का नाम लेने से सीएम नीतीश ने परहेज किया है. 


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ममता बनर्जी के अलावा केरल के सीएम पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) व एमके स्टालिन (M.K. Stalin) को जीत की बधाई देते हुए सीएम नीतीश कुमार ने अपने ट्वीट में न सिर्फ उनका नाम लिखा है बल्कि उन्हें टैग भी किया है. ऐसे में सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर सीएम नीतीश कुमार किन वजहों से ममता बनर्जी का नाम लेने से बच रहे हैं?


सीएम के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए यूजर ने कमेंट में लिखा, 'क्यों चाचा डायरेक्ट ममता दीदी को डायरेक्ट टैग कर बधाई क्यों नहीं दिए. जबकि एक अन्य यूजर ने ममता बनर्जी को टैग करते हुए कहा कि @MamataOfficial आप ही को  @NitishKumar बोल रहे हैं.'



ममता बनर्जी की जीत के बाद सीएम नीतीश कुमार से पहले जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत पर ट्वीट किया था. उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने अपने ट्वीट में लिखा था कि भारी चक्रव्यूह को तोड़कर प.बंगाल में फिर से शानदार जीत के लिए ममता बनर्जी को बहुत-बहुत बधाई. जदयू नेता के इस ट्वीट पर एक यूजर ने जवाब देते हुए लिखा भी था कि लगता है कि नीतीश कुमार इस परिणाम का खूब मजे ले रहे हैं तब तो आपका ऐसा ट्वीट आ रहा है.



गौरतलब है कि ममता बनर्जी व बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब बतौर केंद्रीय मंत्री एक साथ काम किया है. इस दौरान दोनों एनडीए के गठबंधन दलों के कद्दावर नेता के तौर पर जाने जाते थे.