गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या बढ़ी, सरकार ने शुरू की संरक्षण परियोजना
मुख्य वन्यजीव वार्डन पी.के गुप्ता ने कहा कि गंडक नदी में गंडक बैराज और रीवा घाट के बीच 284 किलोमीटर के हिस्से में 21 से 28 फरवरी के बीच किये गए सर्वेक्षण के दौरान सभी आकार के 217 घड़ियाल देखे गए.
पटना: बिहार सरकार की ओर से गंडक नदी में शुरू किए गए संरक्षण प्रयासों के परिणाम सामने आने लगे हैं. हालिया सर्वेक्षण के अनुसार नदी में घड़ियालों की संख्या बढ़कर 217 हो गई है, जो 2014 में 30 थी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
मुख्य वन्यजीव वार्डन पी.के गुप्ता ने कहा कि गंडक नदी में गंडक बैराज और रीवा घाट के बीच 284 किलोमीटर के हिस्से में 21 से 28 फरवरी के बीच किये गए सर्वेक्षण के दौरान सभी आकार के 217 घड़ियाल देखे गए. उन्होंने कहा कि यह बड़े संतोष की बात है कि भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के सहयोग से शुरू की गई हमारी संरक्षण परियोजना के परिणाम अब सामने आ रहे हैं. गुप्ता ने कहा कि इसके साथ ही गंडक नदी चंबल अभयारण्य के बाद भारत का वह दूसरा स्थान बन गई है, जहां घड़ियालों का प्रजनन हुआ है.
डब्ल्यूटीआई के संरक्षण प्रमुख समीर कुमार सिन्हा ने कहा कि गंडक में संरक्षण परियोजना शुरू होने से पहले नदी को घड़ियालों के लिए नहीं जाना जाता था. उन्होंने कहा कि गंडक नदी को घड़ियाल के लिए संरक्षण अभयारण्य घोषित किया जाना चाहिए. सिन्हा ने कहा कि यह एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है. पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि चक्रवाती तूफान जैसे पर्यावरणीय कारकों, नदी के किनारे के कटाव और बारिश होने से जलस्तर में उतार-चढ़ाव जैसे कारणों से घड़ियालों के गंडक में अंडे देने पर भयावह प्रभाव पड़ा है.
उन्होंने कहा कि पटना चिड़ियाघर में पाले गए 30 घड़ियाल 2014 में गंडक में छोड़े गए थे. ‘जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया’ के पटना के प्रभारी अधिकारी गोपाल शर्मा ने इस सफलता का श्रेय वन विभाग, डब्ल्यूटीआई और पर्यावरणविदों के ठोस संरक्षण प्रयासों को दिया.
इनपुट- भाषा
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