Papankusha Ekadashi 2023: पापांकुशा एकादशी व्रत का हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, इस दिन भगवान विष्णु के शालग्राम रूप और भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करने का अद्वितीय महत्व है. पुराणों के अनुसार इस एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है और इसका पालन करने से व्यक्ति पिछले और वर्तमान जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है. इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को यम के दुख नहीं भोगने पड़ते और मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है.


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आज पापांकुशा एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु के शालग्राम रूप और श्रीकृष्ण की पूजा करने की परंपरा है. पुराणों के अनुसार  इस एकादशी व्रत के समान संसार में अन्य कोई व्रत नहीं है. पापांकुशा एकादशी व्रत के प्रताप से व्यक्ति पिछले और वर्तमान जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है. पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व न केवल व्रत के दौरान होता है, बल्कि इसके पारण का भी अत्यधिक महत्व होता है. व्रत के दौरान, व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करता है और उनके लिए विशेष प्रार्थनाएं करता है. फिर व्रत के परिणामस्वरूप, पापांकुशा एकादशी का पारण किया जाता है.


पापांकुशा एकादशी 2023 का व्रत पारण दिन
इस साल पापांकुशा एकादशी का व्रत पारण 25 अक्टूबर 2024 को सुबह 06 बजकर 28 मिनट से सुबह 08 बजकर 43 मिनट के बीच किया जाएगा. द्वादशी तिथि इस दिन सुबह 09.44 मिनट पर समाप्त होगी. पापांकुशा एकादशी का व्रत पारण द्वादशी तिथि पर श्रीहरि की पूजा करने के बाद किया जाता है. भगवान विष्णु को हल्दी, कुमकुम, मौली, नारियल, फूल अर्पित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. फिर पहला निवाला प्रसाद का ही ग्रहण करना चाहिए. उसके बाद एक सात्विक भोजन बनाकर किसी ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए और उन्हें दान और दक्षिणा देनी चाहिए. दान के बिना व्रत पूर्ण नहीं होता है. एकादशी व्रत खोलते समय लहसुन और प्याज के साथ भोजन नहीं करना चाहिए, जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें द्वादशी तिथि पर चावल जरूर खाना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि इससे कोयुनि में जन्म नहीं होता.


पापांकुशा एकादशी व्रत पारण के नियम
एकादशी के व्रत को समाप्त करने के लिए पारण का नियम होता है. एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली चौथाई अवधि होती है. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. द्वादशी तिथि के भीतर पारण करना पाप करने के समान होता है. इस पापांकुशा एकादशी व्रत के महत्वपूर्ण नियमों का पालन करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है और भगवान के आसपास के सुखमय जीवन का आनंद उठा सकता है. यह एक धार्मिक और मानसिक उन्नति का एक अद्वितीय तरीका है.


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