पटना हाई कोर्ट ने सीवान जिला प्रशासन पर लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना, पीएम राहत कोष में जमा होगी रकम
समाजसेवी वीरेंद्र ठाकुर ने सबसे पहले 2009 में बिहार सरकार का ध्यान अतिक्रमण की ओर दिलाने हुए दारौंदा बाजार, ब्लाॅक कार्यालय और श्मशान की जमीन बचाने की अपील की थी. 2017 में उन्होंने पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने 6 माह में अतिक्रमण हटाने का आदेश जिला प्रशासन को दिया था लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अतिक्रमण हटने के बजाय और बढ़ते चले गए और कई नए मार्केट तैयार हो गए.
पटना: पटना हाईकोर्ट ने सीवान जिला प्रशासन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए 2 महीने के अंदर राशि जमा कराने का आदेश दिया है. जुर्माना राशि पीएम राहत कोष में जमा करानी होगी. इससे पहले मई में हाई कोर्ट ने जिला पदाधिकारी और अंचल पदाधिकारी दारौंदा पर 25-25 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया था. इसके बाद नींद से जागते हुए जिला प्रशासन ने 6 सालों से पटना हाई कोर्ट के दारौंदा बाजार, ब्लाॅक और श्मशान की जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू की. हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के लिए अफसरों को 4 महीने का समय दिया है.
यहां जानें पूरा मामला
समाजसेवी वीरेंद्र ठाकुर ने सबसे पहले 2009 में बिहार सरकार का ध्यान अतिक्रमण की ओर दिलाने हुए दारौंदा बाजार, ब्लाॅक कार्यालय और श्मशान की जमीन बचाने की अपील की थी. 2017 में उन्होंने पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने 6 माह में अतिक्रमण हटाने का आदेश जिला प्रशासन को दिया था लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अतिक्रमण हटने के बजाय और बढ़ते चले गए और कई नए मार्केट तैयार हो गए. वीरेंद्र ठाकुर ने कई बार राजस्व विभाग मुख्यालय में इस बात की शिकायत की पर कोई फायदा नहीं हुआ. 2019 में कुछ अतिक्रमणकारियों ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया था और खुद के पूर्व के आदेशों के पालन का आदेश दिया. फिर भी जिला प्रशासन सोया रहा. इसके बाद वीरेंद्र ठाकुर ने जिला प्रशासन के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी.
जब डीएम और अंचलाधिकारी पर 25-25 हजार रुपये का वेलेबल वारंट जारी किया गया तो सीवान के नए डीएम ने इसका संज्ञान लिया और अंचलाधिकारी से हाई कोर्ट के आदेश पर सख्ती से अमल करने को कहा. इसके बाद अतिक्रमण हटाने की खानापूरी कर दी गई. इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि अंचलाधिकारी हाई कोर्ट को बरगला रहे हैं. जिलाधिकारी को स्वयं जांच करनी चाहिए. अनुमंडल में अंचलाधिकारी के रिश्तेदार ही कार्यरत हैं. वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि कुछ बड़े लोगों को बचाया गया है. डीएम को आवेदन देने पर भी कुछ असर नहीं हो रहा है.
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