पटना HC ने बिहार सरकार को लगाई फटकार, कहा-कोरोना को लेकर नहीं है कोई ठोस योजना
कोर्ट ने अस्पतालों के निर्माण को लेकर भी सवाल करते हुए कहा कि पटना के IJIMM को कोरोना अस्पताल बनाने की रफ्तार भी धीमी है.
Patna: कोरोना (Corona) की दूसरी लहर की वजह से बिहार (Bihar) में हालात लगातार खराब हो रहे हैं. जिसके बाद से पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) लगातार इस मामले पर सुनवाई कर रहा है और सरकार से हालात की जानकारी ले रहा है. इस दौरान जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह व जस्टिस मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने शिवानी कौशिक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महाधिवक्ता मंगलवार को बताएं कि सरकार लॉकडाउन लगाने को लेकर क्या फैसला कर रही है. बता दें कि इस जनहित मामले की सुनवाई के जरिये ही हाईकोर्ट सूबे में कोरोना महामारी से निपटने में सरकारी इंतजाम व कामकाज की मॉनिटरिंग कर रही है.
हाईकोर्ट ने पूछे सरकार से कुछ कड़े सवाल:
राज्य सरकार के पास कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं हैं. स्वास्थ्य विभाग के कुछ अफसरों के जरिये कोर्ट को कुछ डाटा सौंप दिया जाता है.
राज्य सरकार ने अब तक जो भी एक्शन प्लान दिए वे आधे-अधूरे और अप टू मार्क नही हैं.
ऐसे हालात में भी सरकार के पास कोई भी डॉक्टर और वैज्ञानिक की एडवाइजरी कमिटी नहीं है. इसके अलावा सरकार के पास कोई वॉर रूम भी नहीं हैं.
राज्य सरकार ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर अभी कोई भी ठोस नतीजा नहीं निकाल पाई है.
सरकार ने कहा प्रेशर स्विच अबॉर्शन प्रणाली के दो प्लांट दो कोविड अस्पतालों में लग गए और काम भी शुरू हो गया है. लेकिन एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक आज तक किसी प्लांट से ऑक्सीजन उत्पादन शुरू नहीं हुआ है.
बिहार सरकार को लगाई फटकार
कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, 'PMCH पटना में करोना मरीजों की संख्या कम होने के बाद भी ऑक्सीजन की खपत ज्यादा है, जबकि NMCH पटना में कोरोना मरीजों की संख्या ज्यादा होने के बाद भी ऑक्सीजन की खपत कम है. ऐसे साफ है कि वहां कालाबाजारी हो रही है.'
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इसके अलावा कोर्ट ने अस्पतालों के निर्माण को लेकर भी सवाल करते हुए कहा कि पटना के IJIMM को कोरोना अस्पताल बनाने की रफ्तार भी धीमी है. बिहटा के ईएसआईसी अस्पताल में भी सुविधाओं की काफी कमी है. जिस कारण कोरोना मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है बल्कि डॉक्टर वहां मौजूद हैं. वहां पर 23 अप्रैल, 2021से डॉक्टर आ गए हैं. लेकिन सुविधा के अभाव में वो इलाज नहीं कर पा रहे हैं.