'तुम्हारी दाल यहां नहीं गलेगी', ये कहवात आपने सुना होगा और फिर सोचते होंगे कि आखिर इसका कहने का क्या अर्थ होता है. खैर, मुहावरा किसी और सेंस में बोला जाता है. मगर, अरहर की बीज पर बिहार सरकार सब्सिडी दे रही है यानी इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अब सबकी दाल गलेगी. अरहर की खेती करने वाला हर किसान मालामाल होगा.
अरहर प्रोत्साहन योजना में औरंगाबाद, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, गया, जहानाबाद अरवल, नवादा, जमुई, बांका और नालंदा जिला शामिल हैं.
अरहर यानी तुअर खेती खरीफ मौसम में की जाती है. यह भारत का प्रमुख दलहनी फसल है. इसे भारत में अरहर, तुअर, पिजन और रेड ग्राम के नाम से भी जाना जाता है.
अरहर की खेती करने के लिए बिहार सरकार अब इसके बीज पर सब्सिडी दे रही है. सरकार मकसद है कि प्रदेश में अरहर की खेती से किसानों की आय बढ़े. बिहार कृषि विभाग ने खरीफ मौसम में अरहर प्रोत्साहन योजना बनाई है.
इस योजना में 12 करोड़ 80 लाख के बजट का प्रवधान है. इस योजना में राज्य के 11 जिलों में खरीफ में अरहर की खेती कराई जाएगी.
बिहार में अरहर की खेती के लिए किसान को बीज पर 80 फीसदी सब्सिडी दिया जाएगा. अरहर प्रोत्साहन योजना के तहत एक किसान को अधिकतम 2 एकड़ में अरहर की खेती के लिए 16 किलो बीज अनुदानित दर पर दिया जाएगा.
अगर एक किलो बीज की कीमत 160 रुपए है, तो अरहर प्रोत्साहन योजना के तहत इसमें किसान को प्रति किलो 128 रुपये सब्सिडी मिलेगी. इसका मतलब हुआ कि किसान को प्रति किलो 32 रुपए की दर से कृषि विभाग के बीज निगम के जरिए से बीज देगा.
ट्रेन्डिंग फोटोज़