24 वर्षीय यति गौर को घूमना पसंद है. इतना कि पिछले सितंबर में उन्होंने ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक केदारनाथ, तुंगनाथ और अन्य स्थानों से होते हुए 40 दिन और 520 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर तय की.
यति गौर का कहना है कि ट्रैवलिंग उनके लिए एक थेरेपी की तरह है. अभी उन्होंने 1 जुलाई से 16 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश की यात्रा की जिसमें उन्होंने 1325 किलोमीटर तक पैदल ही अपना सफर तय किया.
जनवरी में उन्होंने राजस्थान में लगभग 800 किलोमीटर की दूरी तय की. उन्होंने पैदल ही जयपुर से शुरू होकर अजमेर, पुष्कर, माउंट आबू, जैसलमेर, बाड़मेर और भीलवाड़ा जैसे स्थानों को कवर किया.
यति गौर का कहना है कि वे अपने देश को जानना चाहते हैं. उन्हें लोगों से मिलना, दोस्त बनाना, उनके साथ अपने अनुभवों को शेयर करना बेहद पसंद है.
उत्तर प्रदेश के नोएडा के रहने वाले गौर कहते हैं, 'मुझे कहीं पहुंचने की कोई जल्दी नहीं है. मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि मैं आज रात कहां सोऊंगा. मैं अपने रास्ते को लेकर चिंतित हूं कि ये यादगार होना चाहिए.'
उनका कहना है, 'जब मैं चलता हूं तो मुझे शांति का अनुभव होता है. मैं अपने दिमाग से विचारों को बाहर निकालने में सक्षम हूं. मैं एक जगह बैठकर नहीं रह सकता.'
यति का दिन आमतौर पर सूर्योदय से शुरू होता है. भारी नाश्ते के बाद, वह प्रतिदिन औसतन 20 किमी पैदल चलकर निकलते हैं. इस दौरान यति अपने साथ कुछ जरूरी सामान से भरा 18 किलो का बैग रखते हैं जिसके अंदर कुछ कपड़े, एक कैमरा, एक स्लीपिंग बैग और टेंट, पानी, गुड़, आदि समान रखते हैं.
यदि कहते हैं कि वे अपने स्लीपिंग बैग के जरिए माइनस 12 डिग्री सेल्सियस तक में सरवाइव कर सकते हैं. यह बैग उनके साथ हमेशा रहता है.
यति बताते हैं कि लोग उनकी काफी मदद करते हैं. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया, 'हिमाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान करीब 70 परसेंट लोगों ने मुझे खाना खिलाया और ऐसा अक्सर होता है मैं बहुत कम ही खुद से खाना लेकर खाता हूं. लोग हमेशा मेरी मदद करते हैं.'
होटल यति का आखिरी विकल्प है. वे ज्यादातर मंदिरों और आश्रमों में रहते हैं. भोजन नहीं मिलने की स्थिति में वे गुड और 1 लीटर पानी पीकर अपना पेट भरते हैं. उनका सपना देश के हर हिस्से की पैदल यात्रा करना है.
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