Planets Health Connection: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह अपनी चाल बदलते रहते हैं और किसी जातक की कुंडली में स्थिति के आधार पर शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं. ग्रहों का संबंध बीमारियों से भी होता है. ग्रहों के कमजोर होने पर जातक को उस ग्रह से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं.


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सूर्य से जुड़ी बीमारियां: सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है. कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर पित्त, पेट, आंखों, ह्रदय और रक्त संबंधित रोग हो सकते हैं.


चंद्रमा से जुड़ी बीमारियां: चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है. चंद्रमा के कमजोर होने पर मानसिक तनाव, किडनी, मधुमेह, कफ रोग, मूत्र विकार और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं.


मंगल से जुड़ी बीमारियां: मंगल का संबंध रक्त से है. मंगल के कमजोर होने पर खून संबंधित रोग, विषजनित रोग, रक्तचाप, कण्ठ रोग, मूत्र रोग, ट्यूमर, कैंसर, पाइल्स और अल्सर हो सकते हैं.


बुध से जुड़ी बीमारियां: बुध को वाणी का कारक ग्रह माना जाता है. बुध के कमजोर होने पर सीने संबंधित रोग, खुजली, टाइफाइड, निमोनिया, पीलिया, हकलाने की बीमारी और चर्म रोग हो सकते हैं.


गुरु से जुड़ी बीमारियां: गुरु के कमजोर होने से मोटापा, पेट से संबंधित रोग, लीवर, किडनी, मधुमेह, पीलिया और याददाश्त में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.


शुक्र से जुड़ी बीमारियां: शुक्र ग्रह को संपन्नता और वैभव का कारक ग्रह माना जाता है. शुक्र के अशुभ होने पर यौन संबंधित बीमारियां, पीलिया, बांझपन, वीर्य संबंधित और त्वचा संबंधित रोग हो सकते हैं.


शनि से जुड़ी बीमारियां: शनि के कमजोर होने से थकान, चोट, बाल से जुड़ी बीमारियां, शारीरिक कमजोरी, शरीर में दर्द, पेट दर्द और जोड़ों का दर्द हो सकता है.


राहु और केतु से जुड़ी बीमारियां: राहु के कमजोर होने से मस्तिष्क पीड़ा, बवासीर, पागलपन, हड्डियों से संबंधित रोग, पैरों में दर्द, नसों की कमजोरी, पेशाब से जुड़ी बीमारियां और जोड़ों का दर्द हो सकता है.


Disclaimer: यह जानकारी केवल मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और इसे सलाह लेने से पहले विशेषज्ञ से सुनिश्चित करना चाहिए.


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