Raksha Bandhan 2022: भाई-बहनों के पर्व रक्षाबंधन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. इसमें दैत्यराज बलि-देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु से जुड़ी कथाएं सुनाई जाती हैं. ऐसी ही एक कथा श्रीकृष्ण और द्रौपदी की भी है. कहते हैं कि महाभारत युद्ध से पहले द्रौपदी का जो चीर हरण हुआ तो सिर्फ श्रीकृष्ण ने ही उनकी रक्षा की. ऐसा भगवान ने इसलिए किया था क्योंकि वह द्रौपदी की रक्षा के वचन में बंधे थे. यह वचन पांडवों के राजसूय यज्ञ से जुड़ा हुआ है. 


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द्रौपदी ने ऐसे बांधी थी राखी
कहते हैं कि युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था. इस दौरान उनकी उंगली में चोट लग गई. भगवान श्रीकृष्ण की उंगली से रक्त की धारा बहने लगी. यह दृश्य देख द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू को फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण उंगली पर बांध दी. जिससे रक्त बहना बंद हो गया. जिस दिन यह घटना हुई उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. कहते हैं तभी से रक्षाबंधन के पर्व को मनाने की परंपरा आरभ हुई. 


चीरहरण में कृष्ण ने की रक्षा
इसके बाद, द्रौपदी का चीरहरण हुआ. जिसके शुरुआत जुए के खेल से हुए. दुर्योधन ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए पांडवों को बुलाया था. यहां शकुनि उनके साथ छल करते हुए द्यूत खेलने लगा. जब युधिष्ठिर अपना सबकुछ हार गए तो शकुनि ने द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए कहा. कुटिल शकुनि ने द्रौपदी को भी दांव में जीत लिया. द्रौपदी को दांव में हारने पर दुशासन, द्रौपदी को भरी सभा में घसीट लाता है. द्रौपदी का भरे दरबार में भयंकर अपमान किया जाता है. द्रौपदी का जिस समय अपमान हो रहा था तब उस सभा में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और विदुर सभी वहां बैठे थे, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया. इन लोगों के मौन रहने के बाद दुर्योधन ने द्रौपदी का चीरहरण का आदेश दिया. तब द्रौपदी ने रोते हुए अपनी आंखों को बंद किया और भगवान श्रीकृष्ण को याद किया.


भगवान श्रीकृष्ण को शिशुपाल वध के दौरान द्रौपदी को दिया हुआ वचन याद आता है और वे द्रौपदी की लाज बचाने के लिए दौड़ पड़ते हैं. भगवान श्रीकृष्ण द्रौपदी की लाज बचाने के लिए लीला रचते हैं और ऐसा चमत्कार करते हैं जिससे द्रौपदी की साड़ी लगातार बढ़ने लगती है और दुशासन साड़ी खींचते-खींचते बेहोश हो गया. इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की और अपना वचन पूरा किया.


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