पटनाः Ramcharit Manas Controversy: नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में रामचरित मानस को लेकर की गई अपनी टिप्पणी के बाद बिहार शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर लगातार इस मामले में घिरते आ रहे हैं. उनके खिलाफ इस मामले में आरा में परिवाद दायर किया गया है. शिक्षामंत्री के खिलाफ पहले भी इस मामले में परिवाद दायर हो चुके हैं. रामचरित मानस पर टिप्पणी के बाद जहां एक ओर चौतरफा उनकी टिप्पणी की निंदा हो रही है तो वहीं भाजपा लगातार उन्हें इस मामले में घेर रही है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये लगाए गए आरोप
चंद्रशेखर ने अपनी टिप्पणी में रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था. बिहार शिक्षा मंत्री ने नालंदा में दीक्षांत समारोह के दौरान कहा था कि 'मनुस्मृति, रामचरितमानस और बंच ऑफ थाट्स को जला देना चाहिए क्योंकि उन्होंने नफरत फैलाई है. इन किताबों ने लोगों को पीछे धकेलने का काम किया है. इसके अलावा उन्होंने मानस की एक चौपाई भी उदाहरण के तौर पर कही थी'. इस टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ बिहार के अलग-अलग जिलों में परिवाद दायर किया जा रहा है. सामने आया है कि रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान पर आरा सिविल कोर्ट में भी मंगलवार को उनके खिलाफ परिवाद दायर किया गया है.


पहले भी दायर हुए हैं परिवाद
सोमवार को भी नवादा के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सिविल कोर्ट, नवादा में उनके खिलाफ परिवाद दायर किया है. सामाजिक कार्यकर्ता शहर के न्यू एरिया मोहल्ला निवासी राजेश कुमार ने परिवाद दायर कर शिक्षा मंत्री के खिलाफ कानूनी कारवाई करने की मांग की है. इससे पहले उनके खिलाफ बेगूसराय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विरुद्ध परिवाद दायर कराया था. अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ यह परिवाद दायर किया है. इसमें धारा 295ए एवं 153ए के तहत आवेदन दिया गया है. शिक्षा मंत्री के खिलाफ पहली शिकायत राजधानी दिल्ली में दी गई थी. उसके बाद से यह सिलसिला जारी है.