पटना : Ramnath Kovind birthday: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्र जीवन में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया. उन्होंने अपने 12 साल के सांसदी कार्यकाल में शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया और उन पर काम किया. उनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह वकील रहने के दौरान गरीब दलितों के लिए मुफ्त में कानूनी लड़ाई लड़ते थे. आर्थिक रूप से परेशान लोगों की मदद का सिलसिला राष्ट्रपति बनने के बाद भी कम नहीं हुआ. जब वह राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत थे तब भी हर निचले तबके पर नजर रखते थे. वर्ष 2020 में पूर्व राष्ट्रपति ने ढाबे पर काम करने को मजबूर बिहार के रहने वाले साइकिलिस्ट रियाज का हाथ थामा और एक स्पोर्ट्स साइकिल भेंट की. यही नहीं राष्ट्रपति ने ढाबे पर जूठन धोने वाले साइकिलिस्ट रियाज को सपने साकार करने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) में दाखिला भी कराया. पूर्व राष्ट्रपति की बात आज इसलिए क्योंकि वह अपने जीवन के 71वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. आज उनका जन्मदिन है.


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पूर्व राष्ट्रपति से जुड़ी अहम बातें
रामनाथ कोविंद का जन्म एक अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के नजदीक पारोंख में हुआ था. 30 मई 1974 में सविता कोविंद उनकी अर्धांगिनी बनीं. इनके एक बेटे प्रशांत हैं और बेटी का नाम स्वाति है. रामनाथ कोविंद भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले बिहार के 36वें गवर्नर रहे थे. उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की है. गवर्नर ऑफ बिहार की वेबसाइट के अनुसार रामनाथ कोविंद दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे थे. इसके अलावा वह 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिग काउंसिल के सदस्य भी रहे थे. वह उत्तर प्रदेश से बीजेपी के दलित नेता के रूप में उभरे और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे. 


बिहार की धरती से रहा है लगाव
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बिहार की धरा से खास लगाव है. देश के प्रथम नागरिक बनने के बाद पूर्व राष्ट्रपति पहली बार 9 नवंबर 2017 को तृतीय कृषि रोडमैप का शुभारंभ करने आये थे. इस कृषि रौडमैप में जैविक खेती के साथ- साथ उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया था. इसके बाद 15 नवंबर 2018 को राष्ट्रपति दूसरी बार बिहार आए थे. राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा तथा एनआईटी पटना के दीक्षांत समारोह में रामनाथ कोविंद शामिल हुए थे. साथ ही तीसरी बार राष्ट्रपति 25 अक्टूबर 2019 बिहार पहुंचे थे. उस दौरान राष्ट्रपति राजगीर की रत्नागिरी पहाड़ी के शिखर पर स्थित विश्व शांति स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे.


पूर्व राष्ट्रपति का बिहार से क्या था लगाव 
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बिहार से खास लगाव होने की एक वजह भी है. रामनाथ कोविंद बिहार को अपनी कर्मभूमि के रूप में देखते हैं. बता दें कि उन्होंने 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल पद की शपथ ली थी. रामनाथ राष्ट्रपति से पहले बिहार के राज्यपाल रह चुके थे. इसके बाद वर्ष 2017 को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बिहार के राजभवन से सीधे राष्ट्रपति भवन के लिए वह विदा हुए थे. बिहार से जुड़े कई किस्से आज भी उनसे सुनने को मिल जाएंगे.


बिहार के रियाज को मिला था कोविंद का साथ
बिहार के रहने वाले 16 वर्षीय रियाज साइकिलिंग में करियर बनाने के लिए दिल्ली के आनंद विहार में ढाबे पर जूठन धोते थे. जब एक सामाचार पत्र की मदद से इसकी जानकारी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पहुंची तो उन्होंने 30 जुलाई 2020 को रियाज को राष्ट्रपति भवन बुलाया, उससे मिले और उसकी ओर मदद का हाथ बढ़ाया.



राष्ट्रपति ने रियाज को एक साइकिल भेंट की थी. यहीं नहीं उन्होंने रियाज को उपहार स्वरूप साइ के अंतर्गत आने वाली साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआइ) में दाखिला भी कराया. राष्ट्रपति की मदद से ही रियाज को साइ की ओर से साइकिलिंग के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं और प्रशिक्षण मिल रहा है.


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