Rashi Parivartan 2024: शुक्र और मंगल का राशि परिवर्तन (Mangal Gochar 2024) हो चुका है. शुक्र देव (Venus) ने अपनी नीच राशि में प्रवेश कर लिया है और केतु (Ketu) के साथ युति बनाई है. इस समय बृहस्पति (Jupiter) की पांचवी दृष्टि शुक्र पर पड़ रही है. वहीं, मंगल देव (Mars) मिथुन राशि (Mithun Rashi) में प्रवेश कर चुके हैं और उनकी चौथी दृष्टि शुक्र-केतु की युति पर पड़ रही है.


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शुक्र और मंगल के गोचर का विश्व और राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव
आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस गोचर का असर विश्व के राजनीतिक क्षेत्र पर भी दिखाई देगा. ज्योतिष के अनुसार इस समय कुछ बड़े बदलाव और घटनाएं हो सकती हैं. केंद्र सरकार पर विपक्ष का दबाव बढ़ सकता है, विशेष रूप से सितंबर 2024 में. इस समय केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को सावधान रहना होगा क्योंकि विपक्ष को मजबूती मिल सकती है और यह सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. इस अवधि में केंद्र सरकार के किसी बड़े नेता या मंत्री के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंताएं हो सकती हैं, या किसी बड़े नेता के इस्तीफे के योग भी बन सकते हैं.


केंद्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय संबंध
साथ ही शुक्र और मंगल का यह गोचर भारत के विदेशी संबंधों में भी कुछ परेशानियां ला सकता है. विशेष रूप से यूक्रेन, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव की स्थिति बन सकती है. इस समय भारत को आर्थिक स्तर पर भी झटके का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आयात-निर्यात के संबंधों में कटुता आ सकती है.


जनता पर शुक्र-मंगल गोचर का प्रभाव
जनता के लिए भी यह समय चुनौतीपूर्ण रहेगा. सितंबर के महीने में जनता सरकार से संतुष्ट नहीं होगी और कुछ नीतियों के खिलाफ विरोध भी कर सकती है. इस स्थिति का फायदा उठाकर विघटनकारी तत्व हिंसा या दंगे जैसी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं. राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में राजनीतिक उथल-पुथल ज्यादा देखने को मिल सकती है और साधारण जनता का आक्रोश सरकार के खिलाफ बढ़ सकता है.


शेयर मार्केट पर शुक्र-मंगल गोचर का प्रभाव
शुक्र और मंगल के इस गोचर का असर शेयर मार्केट पर भी पड़ेगा. 3 सितंबर से 14 सितंबर तक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा. सोने और चांदी की कीमतों में भी उछाल आ सकता है.


अमेरिका के साथ संबंधों पर असर
इसके अलावा अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में इस गोचर के दौरान कुछ मतभेद देखने को मिल सकते हैं. लेकिन अंतरिक्ष से जुड़े मामलों में भारत और अमेरिका की साझेदारी मजबूत रहेगी. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में भी दोनों देशों के बीच अच्छी साझेदारी देखने को मिलेगी, जो आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती है. वहीं, अमेरिका यूरोपीय और मुस्लिम देशों के बीच तनाव का माहौल बनाने की कोशिश कर सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ सकता है. इस प्रकार शुक्र और मंगल का यह गोचर कई बदलाव और उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है जोकि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण असर डालेंगे.


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