पटनाः पीएफआई पर दिल्ली से बैन लगा और बिहार में सियासी बवाल मच गया. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने मांग की है कि पीएफआई की तरह आरएसएस पर भी बैन लगना चाहिए. इसपर बीजेपी ने गठबंधन की सरकार को चैलेंज किया है. इस्लामिक संगठन पीएफआई पर ताबड़तोड़ छापों के बाद केंद्र सरकार ने इस पर पांच साल के लिए रोक लगा दी है. जिसके बाद संगठन ने भी खुद को भंग करने का ऐलान कर दिया है. संगठन मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों के हितों के लिए लड़ने का दावा करता है. इसकी एक शाखा राजनीति में भी है. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने PFI पर टेरर लिंक और फंडिंग का आरोप लगाया है. बहरहाल, इस बैन को आरजेडी सुप्रीमो ने सही बताया और जोड़ दिया कि इसी तरह आरएसएस पर भी बैन लगाना चाहिए. सुनिए लालू प्रसाद ने क्या कहा? 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

'बिहार में आरएसएस को बैन करके दिखाएं'
इसके अलावा जेडीयू ने भी केंद्र से पूछा कि पीएफआई पर बैन क्यों लगाया है ये बताओ. इसके जवाब में बीजेपी के सुशील मोदी ने बिहार की गठबंधन सरकार को चुनौती दी है कि वो आरएसएस पर बैन लगा कर दिखाएं. उन्होंने कहा कि आपका वैचारिक मतभेद हो सकता है, लेकिन आरएसएस की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी आरएसएस को बैन करने के लालू यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि अगर उनमें हिम्मत है तो बिहार में आरएसएस को बैन करके दिखाएं.


वैसे आरएसएस पर तीन बार बैन लग चुका है. 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर बैन लगा था. तब सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के गृह मंत्री थे. तब पटेल ने लिखा था- रोक इसलिए लगाई जा रही है, ताकि नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने वाली ताकतों को जड़ से उखाड़ा जा सके. ये ताकतें देश की आजादी और नाम को नुकसान पहुंचा रही हैं. पत्र में कहा गया था कि संघ के सदस्यों ने अवांछित और खतरनाक गतिविधियों को अंजाम दिया है. 


'आरएसएस सरकार और देश के अस्तित्व के लिए खतरा'
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे एक पत्र में पटेल ने लिखा था कि - आरएसएस सरकार और देश के अस्तित्व के लिए खतरा है. हालांकि डेढ़ साल बाद संघ से प्रतिबंध हटा लिया गया था. तब एक अनौपचारिक शर्त ये थी कि संघ राजनीति से दूर रहेगा. आरएसएस पर दूसरी बार बैन 1975 में इमरजेंसी के दौरान लगा. तीसरा बार बैन 1992 में तब लगा जब बाबरी मस्जिद गिराई गई. उस वक्त आरएसएस के अलावा विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और जमात-ए-इस्लामी हिंद और SIMI पर भी रोक लगी थी. 


हालांकि कई मौकों पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आरएसएस की तारीफ की थी. एक मौका था जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था और दूसरी बार जब चीन ने भारत पर हमला किया था. तब स्वयंसेवकों के योगदान को देख तत्कालीन पीएम नेहरू ने उनकी तारीफ की थी. कुल जमा बात ये है कि किसी भी सभ्य समाज और लोकतांत्रिक देश में कट्टरता को जगह नहीं मिलनी चाहिए. हिंसा किसी मसले का हल नहीं हो सकती. चाहे वो हिंदूवादी संगठन हो या फिर इस्लामिक.


यह भी पढ़े- इस शख्स के कहने पर महात्मा गांधी ने रखा था चंपारण की धरती पर कदम, जानें कैसे माने थे बापू