Explainer: आखिर कोर्ट ने एयर इंडिया को लेकर ऐसा आदेश क्यों दे दिया? अब क्या करेगा DGCA
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Explainer: आखिर कोर्ट ने एयर इंडिया को लेकर ऐसा आदेश क्यों दे दिया? अब क्या करेगा DGCA

Bombay HC on DGCA: हालांकि एयर इंडिया ने कोर्ट में दावा किया कि वे यात्री सुरक्षा के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं. उधर DGCA और एयरलाइन ने याचिका को खारिज करने की मांग की यह कहते हुए कि मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.

Explainer: आखिर कोर्ट ने एयर इंडिया को लेकर ऐसा आदेश क्यों दे दिया? अब क्या करेगा DGCA

Air India Boeing safety: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को एयर इंडिया के लीज पर लिए गए बोइंग 777-200LR विमानों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की जांच करने के निर्देश दिए. ये विमान अमेरिका और भारत के बीच लंबी दूरी की उड़ानों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. अदालत ने DGCA से जांच करने को कहा कि क्या ये विमान केबिन में दबाव कम होने की स्थिति में 12 मिनट में 10,000 फीट की ऊंचाई तक नीचे आ सकते हैं और सुरक्षित रूप से वैकल्पिक हवाई अड्डे पर लैंड कर सकते हैं. आइए इस पूरे मामले को समझते हैं.

मामला हाईकोर्ट तक कैसे पहुंचा?
यह याचिका मुंबई के 55 वर्षीय पायलट, जो बोइंग 777 के कमांडर थे, द्वारा दायर की गई. उन्होंने जनवरी 2023 में सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु की उड़ान को तब तक चलाने से इनकार कर दिया जब तक उन्हें एक सुरक्षित और कानूनी रूप से सही रूट प्रदान नहीं किया गया. इसके बाद, उन्हें मई 2023 में नौकरी से निकाल दिया गया. उन्होंने अक्टूबर 2023 में DGCA को शिकायत दर्ज करवाई और अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पायलट ने कोर्ट में दलील दी कि DGCA द्वारा एयर इंडिया पर जुर्माना लगाने के बावजूद, ये विमान अभी भी अमेरिका और भारत के बीच अल्ट्रा लॉन्ग-हॉल रूट्स पर उड़ान भर रहे हैं, जो यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं.

पायलट ने विमानों की सुरक्षा को लेकर क्या चिंताएं जताईं?
पायलट का कहना है कि एयर इंडिया द्वारा 2022 में डेल्टा एयरलाइंस से खरीदे गए इन विमानों में पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई नहीं है. उन्होंने बताया कि इन रूट्स पर पहाड़ी इलाकों से गुजरते समय दबाव कम होने की स्थिति में ऑक्सीजन की कमी यात्रियों और क्रू के जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है.

पायलट ने कहा कि विमानों में सिर्फ 12 मिनट की ऑक्सीजन सप्लाई उपलब्ध है, जबकि नियमों के अनुसार यह अधिक होनी चाहिए ताकि विमान 10,000 फीट की ऊंचाई तक सुरक्षित रूप से नीचे आ सके. यह DGCA के नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (CAR) का उल्लंघन है.

एयर इंडिया और DGCA का पक्ष क्या था?
एयर इंडिया ने कोर्ट में दावा किया कि वे यात्री सुरक्षा के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं. वहीं DGCA और एयरलाइन ने याचिका को खारिज करने की मांग की यह कहते हुए कि मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि DGCA का मुख्यालय दिल्ली में है.

हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस बी पी कोलाबावाला और सोमशेखर सुंदरासन की पीठ ने मामले को गंभीरता से लिया. अदालत ने कहा कि यह मामला सिर्फ याचिकाकर्ता और एयरलाइन के बीच विवाद नहीं है, बल्कि उड़ान और यात्री सुरक्षा से संबंधित सामाजिक महत्व का मुद्दा है. कोर्ट ने DGCA को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता और एयरलाइन दोनों को सुनें, सभी प्रासंगिक पहलुओं की जांच करें और तय करें कि विमान नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं. अगर जरूरत हो, तो सुधारात्मक कदम उठाए जाएं.

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