पटनाः Sawan Shivlingam Puja: सावन माह में शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही है. महादेव भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सभी तत्पर हैं. भगवान शिव देवों के देव महादेव हैं. उनकी पूजा से जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं. सावन महादेव की विशेष पूजा का दिन है. इस दिन उन्हें बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक आदि का प्रसाद चढ़ता है. इसके अलावा उन्होंने विभिन्न मिष्ठान्नों का भी प्रसाद चढ़ता है, लेकिन शिवजी की पूजा में एक खास बात ध्यान रखनी चाहिए कि शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद उठाकर न तो खाना चाहिए और न ही उसे किसी को देना चाहिए. उस पर किसी और का हक होता है. असल में महादेव का प्रसाद हर स्थिति में नहीं खाया जा सकता है.


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भक्ति के नियमों के अधीन हैं महादेव
वैसे तो शिवजी किसी भी नियम और पूजा के लिए बंधे नहीं हैं. वह खुद कहते हैं कि वह केवल भाव के भूखे हैं. यही वजह है कि हर किसी का उन पर समान अधिकार है. इसमें सिर्फ मनुष्य या देवता शामिल नहीं हैं. बल्कि असुर, दैत्य, दानवों के अलावा, यक्ष-गण और प्रेत भी शामिल हैं. महादेव ने हर किसी के लिए उसके अनुसार ही व्यवस्था कर रखी है. इसीलिए पूजा का भले ही कोई नियम न हो, महादेव शिव का प्रसाद ग्रहण करने में नियम जरूर मानना चाहिए. दरअसल महादेव भी अपने भक्तों और उनकी भक्ति की मर्यादाओं से मुक्त नहीं हैं बल्कि उनके अधीन हैं. 


इन्हें मिला है प्रसाद पाने का वरदान
पौराणिक कथाओं के अनुसार कैलाश पर रहने वाले सभी गण खुद शिव ही स्वरूप हैं. ऐसे में उनका अधिकार शिवपूजा में चढ़ाए गए होम-हवन आदि पर होता है. इन्हीं गणों में एक खास गण है. इसका नाम चंडीश है. यह महादेव के मुख का स्वरूप है. एक बार भगवान शिव ने जमुहाई के लिए मुंह खोला तो यह प्रकट हुआ. प्रकट होते ही यह भोजन मांगने लगा. ये गण महादेव की भूख का ही प्रतीक है. इन्हें लालसा और कामना का भी प्रतीक माना जाता है. जब चंडेश्वर की भूख नहीं मिटी तो महादेव ने उन्हें कहा कि आज से मेरे पत्थर से बने लिंग, मिट्टी के शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद पर तुम्हारा अधिकार होगा. इसलिए जब भी शिवलिंग पर कोई प्रसाद चढ़ाया जाता है, तो उसे नहीं खाया जा सकता है. अगर आप महादेव के मूर्ति स्वरूप की पूजा कर रहे हैं तो यहां नियम अलग हो जाता है. ऐसे में प्रतिमा पर चढ़ाए गए प्रसाद खा सकते हैं. यह महादेव का भाग होता है, जिसे वह भक्तों में समर्पित कर देते हैं. भक्त इन्हें खा सकते हैं.


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