Shani Vakri 2024: शनि का राहु के नक्षत्र में प्रवेश, अक्टूबर में होगा बड़ा परिवर्तन, ये राशियां हो जाएं सावधान!
Shani Vakri 2024: ज्योतिष की गणना और हिंदू पंचांग के अनुसार शनि देव 3 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर पूर्व भाद्रपद नक्षत्र से निकलकर शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. शनि देव इस नक्षत्र में 27 दिसंबर 2024 तक रहेंगे.
Shani Dev: शनि देव अक्टूबर 2024 में एक बड़ा परिवर्तन करने जा रहे हैं और इस बदलाव का असर दिसंबर 2024 तक देखा जा सकता है. आचार्य मदन मोहन के अनुसार शनि देव इस समय गुरु के नक्षत्र पूर्वभाद्रपद में थे, लेकिन अब वे राहु के नक्षत्र शतभिषा में प्रवेश करेंगे. राहु को ज्योतिष में पाप ग्रह कहा जाता है, जो भ्रम और अचानक होने वाली घटनाओं का कारण बनता है. वहीं, शनि न्यायप्रिय ग्रह हैं और कर्मों के अनुसार फल देते हैं. शनि का राहु के नक्षत्र में प्रवेश घटनाओं की अप्रत्याशितता की ओर संकेत करता है.
ज्योतिष में जब शनि और राहु एक साथ होते हैं, तो इसे पिशाच योग कहा जाता है. शनि मेहनत का कारक है जबकि राहु भ्रम फैलाने वाला ग्रह माना जाता है. जब यह योग किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है, तो उसे जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और सफलता मिलना मुश्किल हो जाता है. इस योग को श्रापित योग भी कहा जाता है, जो व्यक्ति के लिए चुनौतियां लाता है.
इसके अलावा शनि का यह नक्षत्र परिवर्तन 3 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा, जब शनि पूर्वभाद्रपद से निकलकर शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. इस नक्षत्र में शनि 27 दिसंबर 2024 तक रहेंगे, जिसके बाद वे पुनः पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में लौट आएंगे. शतभिषा नक्षत्र राहु के अधीन होता है, जबकि शनि इसके राशि स्वामी हैं. यह नक्षत्र कुंभ राशि के अंतर्गत आता है और इसके देवता वरुण माने जाते हैं, जो जल और तूफानों के कारक होते हैं.
साथ ही शनि के इस गोचर का असर लोगों की लव लाइफ पर पड़ सकता है जो लोग रिश्तों में हैं, उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यह समय रिश्तों में तनाव और ब्रेकअप की स्थिति ला सकता है. इसके अलावा, दांपत्य जीवन में भी गलतफहमी और शक की वजह से समस्याएँ आ सकती हैं. कार्यस्थल पर शनि का प्रभाव अच्छा हो सकता है जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन जो काम में लापरवाही करते हैं, उन्हें दिक्कतें हो सकती हैं.
इस नक्षत्र परिवर्तन का असर देश और दुनिया पर भी देखने को मिलेगा. सीमा विवाद वाले देशों में तनाव कुछ कम हो सकता है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं जैसे बारिश, बाढ़ और भूकंप की घटनाएं बढ़ सकती हैं.
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