Shattila Ekadashi 2023 Puja Vidhi: षटतिला एकादशी, माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी है. इस एकादशी में तिल का प्रयोग किया जाता है और यह तिल नर्क का भागी बनने से बचाता है. इसकी पूजा विधि को जानना खास है. इस विधि को स्वयं ऋषियों ने बताया है. एक बार दालभ्य ऋषि ने पुलस्त्य ऋषि से पूछा  कि मनुष्य मृत्युलोक में ब्रह्महत्या आदि महापाप करते हैं . चोरी के साथ दूसरी की उन्नति देखकर ईर्ष्या आदि करते हैं. ऐसे पाप से मनुष्यों को नरक से बचाने का क्या उपाय है? 


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ऋषि ने बताया ये उपाय
दालभ्य के पूछने पर ऋषि ने पुलस्त्य कहते हैं कि माघ मास आने पर मनुष्य को स्नान आदि से शुद्ध रहना चाहिए और इन्द्रियों को वश में करके तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या तथा अहंकार आदि से सर्वथा बचना चाहिए. इस दौरान एक पूजा है जो सभी पापों से मुक्त कराती है.इसे षटतिला एकादशी पूजा विधान कहते हैं.


ये है पूजा विधि
षटतिला एकादशी के दिन व्रत करने के लिए जान लें आपको क्या करना है. सबसे पहले सुबह स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर तैयार हो जाएं. इसके बाद घर में पूजा वाले स्थान पर चौक पूरें और फिर आसन को उस पर रख दें. भगवान विष्णु या लड्डू गोपाल का चित्र या छोटी प्रतिमा रखकर उसके बाद पूजा की शुरुआत करें. भगवान का स्मरण कर उनका अभिवादन करें और फिर, इसके बाद पुष्प, धूप अर्पित कर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान का पंचोपचार पूजन करें, और इस दिन खास बनाए हुए हवन से आहुति दें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मिठाई, नारियल, और सुपारी सहित अर्घ्य देकर स्तुति करें. एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर भगवान का भजन और ध्यान करें.  


इस तरह करें पारण
इसके बाद अगले दिन द्वादशी पर सुबह उठकर स्नान करें और फिर भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पंडितों को भोजन कराकर पारण करें. षटतिला एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.अगले दिन धूप, दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा कर खिचड़ी का भोग लगाएं. प्रसाद ग्रहण करें.


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