पटनाः Shattila Ekadashi 2023: माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. असल में माघ का महीना है तिल के महत्व का होता है, ऐसे में यह एकादशी व्रत भी तिल के विधान के बिना संपूर्ण नहीं है. माघ मास के चार त्योहार हैं, जिनमें सकट चौथ, संक्रांति, एकादशी और मौनी अमावस्या शामिल हैं. इन सभी में तिल के पूजन, तिल का भोग, तिल का दान और तिल के स्नान का बहुत महत्व होता है. षटतिला एकादशी भी इनमें से एक है. षटतिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी 2023 को रखा जाएगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

षटतिला एकादशी के दिन तिल का छह प्रकार से प्रयोग किया जाता है. तिल भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुआ है, ऐसे में इसका महत्व देव नदी गंगा के समान ही है.


अपने नाम के ही आधार पर तिल से जुड़ा यह त्योहार, अनुरूप यह व्रत तिल से जुड़ा हुआ है. तिल का महत्व तो सर्वव्यापक है और हिन्दू धर्म में तिल बहुत पवित्र माने जाते हैं. विशेषकर पूजा में इनका विशेष महत्व होता है. इस दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग किया जाता है.मान्यता है कि इस दिन तिलों का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है.


1.  तिल के जल से स्नान करना


2.  पिसे हुए तिल का उबटन करना


3.  तिलों का हवन करना


4.  तिल मिला हुआ जल पीना


5.  तिलों का दान करें


6.  तिलों की मिठाई और व्यंजन बनाएं


षटतिला एकादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले फूल, नैवेद्य का भोग अर्पित करें. आज के दिन व्रत रखने वाले लोग इस दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की आराधना करें, साथ ही रात्रि में जागरण और हवन करें. इसके बाद द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पंडितों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें.


ये भी पढ़ें- IND vs NZ Head To Head: न्यूजीलैंड से टक्कर को भारत तैयार, यहां देखें वनडे में कौन किसपर है भारी