बिहार-झारखंड में वैक्सीनेशन का तीसरा चरण फ्लॉप! सियासी गलियारों में वैक्सीन की कमी के मुद्दे पर सिकी रोटियां
Bihar Samachar: आरजेड़ी सरकार पर ढोल पीटने का आरोप लगाते हुए सवाल दाग रही है. वहीं, जेडीयू ने पलटवार करते हुए साफ कर दिया है कि पेनिक होने की जरुरत नहीं है. सीएम नीतीश कुमार मामले को लेकर बेहद संवेदनशील और गंभीर है.
Patna: देशभर में कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है. एक मई से तीसरे चरण की भी शुरुआत हो चुकी है. तीसरे चरण में 18 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना का टीका लगाने का प्रावधान है. लेकिन देशभर में कई राज्य ऐसे हैं जो वैक्सीन की कमी के चलते इस अभियान का हिस्सा नहीं बन पाए. बिहार और झारखंड भी उन राज्यों में से एक हैं. जहां वैक्सीन की अनुपलब्धता के चलते वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो सका.
विपक्ष मामले में सरकार पर लगातार हमलावर है. आरजेड़ी सरकार पर ढोल पीटने का आरोप लगाते हुए सवाल दाग रही है. वहीं, जेडीयू ने पलटवार करते हुए साफ कर दिया है कि पेनिक होने की जरुरत नहीं है. सीएम नीतीश कुमार मामले को लेकर बेहद संवेदनशील और गंभीर है. सरकार लगातार वैक्सीन निर्माता कंपनी के संपर्क में है. बिहार में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया जाना है. इसलिए सरकार ने सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में लोगों को मुफ्त टीका लगाने का फैसला लिया है. सरकार निरंतर इस दिशा में काम भी कर रही है.
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वहीं, बीजेपी ने भी विपक्ष को घेरते हुए राजनीति नहीं करने और सरकार के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी है.
बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में भी 18 से 45 वर्ष तक के लोगों का टीकाकरण नहीं हो सका और यहां भी इसपर खूब राजनीति देखने को मिली. सत्ता पक्ष ने जहां केंद्र सरकार पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाते हुए वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया. वहीं विपक्षी दल का कहना है कि जिन लोगों का काम आपदा में भी अवसर तलाशना है वो संसाधन का रोना रोएंगे. वैक्सीन का रोना रोएंगे अपनी कमी को नहीं बताएंगे. बीजेपी ने कहा कि सरकार अपनी कमी देखे अगर केंद्र से कॉर्डिनेशन किया होता, वक्त रहते कंपनियों से बात की होती तो आज ये नौबत नहीं आती.
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फिलहाल अभियान तो शुरू नहीं हो सका लेकिन दोनों प्रदेशों के सियासी गलियारों में हल्ला जरूर मचा हुआ है.