Story of Bindeshwar Pathak: भारत में सार्वजनिक शौचालयों के क्षेत्र में अग्रणी बिंदेश्वर पाठक को स्वच्छ भारत मिशन द्वारा शौचालयों को सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बनाए जाने से बहुत पहले ही 'भारत के शौचालय पुरुष' के रूप में जाना जाने लगा था. हालांकि, उनके काम का अक्सर मजाक उड़ाया जाता था, जिसमें उनके परिवार के कुछ सदस्य भी शामिल थे. 80 वर्षीय बिंदेश्वर पाठक का निधन मंगलवार 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के तुरंत बाद दिल का दौरा पड़ने से हो गया. बता दें कि ब्राह्मण परिवार में जन्मे बिंदेश्वर पाठक ने अपना पूरा जीवन सिर्फ देश को स्वच्छ बनाने में समर्पित कर दिया. उन्होंने जाति और वर्ग की सभी सीमाओं को पार करते हुए स्वच्छता के महत्व को पूरे देश में फैलाने का काम किया. दरअसल, बिंदेश्वर पाठक सुलभ इंटरनेशनल नामक एक समाज सेवा संगठन के संस्थापक थे. उनका सपना था कि भारत को स्वच्छ बनाया जाए और उन्होंने देश के हर हिस्से में स्वच्छता का प्रचार किया. आइए जानते हैं 'टॉयलेट मैन ऑफ इंडिया' के सफर के बारे में.


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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1968 में बिंदेश्वर पाठक जब बिहार गांधी शताब्दी समारोह समिति के भंगी-मुक्ति प्रकोष्ठ में शामिल हुए, तो उन्हें पहली बार हाथ से मैला ढोने वालों की कठिनाइयों को महसूस किया. इन लोगों को अपनी जान की परवाह किए बिना हाथ से मैला हटाना पड़ता था. इस स्थिति को समझने के लिए पाठक ने पूरे भारत की यात्रा की और मैला ढोने वाले परिवारों के साथ रहकर उनका जीवन देखा. इस अनुभव ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि यह एक अमानवीय प्रथा है, जो भारतीय संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है.


बता दें कि इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से बिंदेश्वर पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की. यह एक समाज सेवा संगठन है जो तकनीकी प्रगति को मानवता के आदर्शों के साथ जोड़ता है. सुलभ इंटरनेशनल में 50,000 स्वयंसेवक शामिल हैं. पाठक ने सुलभ शौचालयों को बायोगैस संयंत्रों से जोड़कर एक नई तकनीक विकसित की, जिससे बायोगैस का उत्पादन होता है. यह प्रणाली उन्होंने 30 साल पहले डिजाइन की थी और आज यह कई विकासशील देशों में स्वच्छता का प्रतीक बन चुकी है. पाठक ने भारत में मैनुअल स्कैवेंजरों की स्थिति सुधारने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया. उनके संगठन ने सस्ती दो-गड्ढे वाली शौचालय तकनीक का उपयोग करके भारतीय घरों में लगभग 1.3 मिलियन शौचालय बनाए. इसके अलावा उनके संगठन ने 54 मिलियन सरकारी शौचालय भी स्थापित किए हैं. 


साथ ही बिंदेश्वर पाठक का जन्म 2 अप्रैल 1943 को बिहार के हाजीपुर में हुआ था. उन्होंने 1964 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में डिग्री प्राप्त की. इसके बाद 1980 में पटना विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री और 1985 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. डॉ. पाठक एक सक्रिय वक्ता और लेखक भी थे. उनकी कई किताबें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें 'द रोड टू फ्रीडम' भी शामिल है. साथ ही भारत के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का 15 अगस्त 2023 को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और मरणोपरांत पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया. बिंदेश्वर पाठक ने स्वच्छता और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके प्रयासों ने भारतीय समाज में बड़े बदलाव लाए.


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