पटनाः Dev Uthani Ekadashi and Tulsi Vivah: देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह दोनों ही अक्षय पुण्यों का पर्व है. पद्मपुराण के अनुसार देव प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश हो जाता है. पुण्य की वृद्धि होती है. साथ ही मोक्ष की प्राप्ति का भी योग बनता है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है उससे एक हजार अश्वमेध तथा सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है.


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व्रत रखने मात्र से हो जाती है दुर्लभ वस्तु की प्राप्ति -
पद्मपुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति यह व्रत रखकर तुलसी विवाह करता है उसे दुर्लभ से भी दुर्लभ वस्तुओं की प्राप्ति हो जाती है. कहते हैं कि यदि यह व्रत श्रद्धापूर्वक रखा जाए तो बड़े-बड़े से पापों का क्षणभर में नाश हो जाता है. यही नहीं हजार जन्मों के पापों से भी मुक्ति मलि जाती है.


पितरों को भी मिल जाती है मुक्ति
पद्मपुराण के अनुसार जो भी जातक यह देव उठनी एकादशी करते हैं उन्हें तो लाभ मिलता ही है. साथ ही उनके पितरों को भी नरक के दुखों से छुटकारा प्राप्त करके वैकुंठ जाते हैं. इसके अलावा संपूर्ण तीर्थों में नहाने और पृथ्वी दान करने से जो फल प्राप्त होता है वही पुण्य इस व्रत को करने से मलिता है.


इन वस्तुओं का करें दान
देव उठनी एकादशी के दिन कई प्रकार के फूल, फल, कपूर, अरगजा और कुमकुम के द्वारा माधव की पूजा करनी चाहिए. साथ ही दान-पुण्य भी अधिक से अधिक करना चाहिए. एकादशी के दिन किया गया दान असंख्य पुण्य की प्राप्ति कराता है. इस दिन भागवत कथा अवश्य सुननी चाहएि. मान्यता है कि जो भी व्रती देवप्रबोधनी एकादशी के दिन भागवत पुराण का पाठ करता है उसे एक-एक अक्षर पर कपिलादान का फल मलिता है.


इस एक पत्ते से पूजने से भगवान होते हैं अति प्रसन्न
देवप्रबोधनी एकादशी के दिन केतकी के एक पत्ते से भी पूजा कर दी जाए तो वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं. पद्मपुराण में कहा गया है कि इस एक पत्ते से पूजा करने पर भगवान गरुड़ध्वज एक हजार वर्ष तक अत्यंत तृप्त रहते हैं. यही नहीं जो अगस्त के फूल से भगवान माधव की पूजा करते हैं, उसके दर्शन मात्र से नरक की भयंकर आग का भी कष्ट नहीं होता. यही नहीं जो जातक कार्तिक मास में श्री हरि की पूजा करते समय उन्हें तुलसी के पत्र और पुष्प अर्पित करते हैं उनके जन्म भर में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.