लालू के अनसुने किस्से: दामन पर लगा दाग तो बना ली पार्टी, फिर राजनीति में किया कमाल!
राज्य से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अपने नाम से तहलका मचा चुके बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव को एक राजनेता के तौर पर देश ही नहीं विदेशी में बी खासी पहचना मिली है. लालू यादव इनदिनों कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
Lalu Prasad yadav: राज्य से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अपने नाम से तहलका मचा चुके बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव को एक राजनेता के तौर पर देश ही नहीं विदेशी में बी खासी पहचना मिली है. लालू यादव इनदिनों कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. हाल ही में सिंगापुर से किडनी ट्रांसप्लांट कर लौटे लालू यादव का नाम बिहार में विपक्षी एकता के लिए सज रहे मंच की प्लानिंग को लेकर खूब सुर्खियों में हैं. आपको बता दें कि इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौर से छात्र राजनीति में कदम रखकर इतना लंबा सियासी सफर करनेवाले लालू प्रसाद यादव कई विवादों में भी घिरे रहे जिसे लगभग हर कोई जानता है.
ऐसे में क्या आपको पता है कि लोहिया और जयप्रकाश नारायण को अपना आदर्श मानने वाले लालू यादव ने आखिर अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन किस दबाव में किया और उन्होंने अपनी पार्टी के गठन के बाद बिहार की राजनीति में किस तरह से अपनी एक अलग छवि गढ़ी. उन्होंने कैसे बिहार की राजनीति की दिशा को बदलकर रख दिया. नहीं जानते तो हम आपको बताएंगे कि यह कैसे संभव हुआ.
सब जानते हैं कि 5 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के नाम से एक पार्टी का गठन किया. वह तब बिहार के मुख्यमंत्री थे और जनता दल के अध्यक्ष भी थे. जी हां, आपने सही सुना लालू जब पहली बार बिहार के सीएम बने थे तो वह राजद से नहीं थे. तब उनकी पार्टी राजद का जन्म भी नहीं हुआ था. लालू तो जनता दल के नेता थे पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष बनाया था. उनकी राजनीतिक कौशलता का लोहा सभी मानते थे ऐसे में उन्हें बिहार का सीएम भी बनाया गया.
इसी बीच चारा घोटाला मामले में लालू यादव का नाम सामने आया वह बिहार मे मुख्यमंत्री थे ऐसे में इस मामले में जांच की आंच लालू यादव तक भी पहुंच गई. इस घोटाले को लेकर सीबीआई की तरफ से चार्जशीट तैयार की गई. इसमें लालू प्रसाद यादव का भी नाम था. ऐसे में जनता दल के कुछ नेता लालू के पार्टी अध्यक्ष और बिहार का मुख्यमंत्री बने रहने के खिलाफ हो गए थे. उन पर इन दोनों पदों से इस्तीफा देने का दबाव बन रहा था.
पिर क्या था लालू यादव ने अपने करीबियों, चहेतों और समर्थकों के साथ मिलकर एक नई पार्टी का गठन कर लिया और जनता दल का साथ छोड़ दिया. लालू ने 1997 में राजद का गठन किया और वह पार्टी के सुप्रीमो बने. वह इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. इस पार्टी के गठने के ठीक 20 दिन बाद लालू यादव ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनीं.