पटनाः केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने मुकदमों के लंबे समय तक लंबित रहने पर चिंता जताई है. कानून मंत्री ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के माध्यम से ही अदालतों पर यह भार कम हो सकता है. जब यह भार कम होगा तभी आम आदमी को न्याय मिल सकता है. साथ ही कहा कि देश के सभी स्तर के न्यायालयों में चार करोड़ 80 लाख मामले लंबित हैं. 


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अदालत में 10 से 15 साल तक लंबित है मुकदमे
रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीश, अधिवक्ता और सरकार के स्तर पर इस संबंध में गंभीर प्रयास किए जा रहे है. अदालत में 10 से 15 साल तक मुकदमे लंबित रहें, यह उचित नहीं. दरअसल, केंद्रीय कानून मंत्री शनिवार को पटना पहुंचे थे. यहां उन्होंने बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. समारोह में सीजेआई यूयू ललित और सर्वोच्च न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीश शामिल हुए. कार्यशाला में हजारों की संख्या में वकीलों ने भी हिस्सा लिया था. 


डिजिटल दुनिया में हो रही ऑनलाइन सुनवाई
बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि अब सुनवाई ऑनलाइन भी हो रही है. सर्वोच्च से लेकर निचली अदालतों तक में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली की शुरुआत हो तो मुकदमों की संख्या कम हो जाएगी. केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि उच्च न्यायालय की कार्रवाई की आनलाइन स्ट्रीमिंग (इंटरनेट से सीधा प्रसारण) के कारण वकीलों के साथ-साथ न्यायाधीशों का आचरण भी सार्वजनिक जांच के दायरे में है.


निचली अदालतों के बुनियादी ढांचे का हो रहा निर्माण
उन्होंने कहा कि देश की निचली अदालतों में बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण किया गया है. इस मद में केंद्र सरकार पहले ही नौ हजार करोड़ रुपये की बड़ी राशि दे चुकी है. उन्होंने कहा कि ज्य के मुख्यमंत्री और संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बीच समन्वय की कमी के कारण न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दी गई केंद्रीय निधि अनुपयोगी हो जाती है. कानून मंत्री ने आग्रह किया राज्यों के मुख्यमंत्री उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ समन्वय में फास्ट ट्रैक अदालतों को भरने का प्रयास करें.


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