Vijayadashmi Shami Pujan: विजयादशमी पर जरूर करें शमी वृक्ष की पूजा, जानिए क्या है विधि
Vijayadashmi Shami Pujan: अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा विराट के यहँ नौकरी कर ली थी. जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र उत्तर ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी.
पटनाः Vijayadashmi Shami Pujan: विजयदशमी के दिन कुछ जगहों पर शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है हालांकि, खासकर क्षत्रियों में इस पूजन का महत्व ज्यादा है. महाभारत के युद्ध में पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे और बाद में उन्हें कौरवों से जीत प्राप्त हुई थी. शमी के वृक्ष की नियमित पूजा से परिवार में सुख-शांति आती है. विजयदशमी पर अपराजिता के पूजन का भी महत्व है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यह वृक्ष आने वाली कृषि विपदाओं का पहले से ही संकेत दे देता है. जिससे किसान आने वाली समस्या के लिए पहले से ही तैयार हो सके और आनेवाले संकट का सामना करने में सक्षम हो. ज्योतिषाचार्य बाराहमिहिर के ‘वृहतसंहिता’ नामक ग्रंथ के ‘कुसुमलता’ अध्याय में वनस्पति शास्त्र और कृषि उपज के संदर्भ में शमीवृक्ष का उल्लेख मिलता है. बाराहमिहिर के अनुसार जिस साल शमी वृक्ष ज्यादा फूलता-फलता है उस साल सूखे की स्थिति का निर्माण होता है.
रामायण-महाभारत में शमी वृक्ष
अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा विराट के यहँ नौकरी कर ली थी. जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र उत्तर ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी. विजयादशमी के दिन भगवान रामचंद्रजी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था. विजयकाल में शमी पूजन इसीलिए होता है.
शमी पूजा विधि
दशहरे के दिन सुबह भगवान श्रीराम और देवी पूजा के बाद शमी के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें। इसके बाद लाल रंग के पुष्प, फल, अर्पित करें। फिर घी या तिल के तेला दीया जलाएं और बाती इसमें मौली की रखें। इसके बाद चंदन और कुमकुमल लगाने के बाद धूप-अगरबत्ती दिखाएं। हाथ जोड़ कर शमी के समक्ष अपनी व्यथा कहें और उससे छुटकारे की प्रार्थना करें।
शमी से जुड़ी खास बातें
इस पौधे को शनिवार के दिन या विजयदशमी के दिन घर पर लगाएं.
यह पौधा शनिदेव का पौधा माना जाता है इसलिए घर में लगे हुए शमी के पौधे के नीचे हर शनिवार को दीपक जलाएं.
शमी के पौधे में नियमित रूप से जल अर्पित करें और मंगलकामना करें.
भगवान् शिव पर शमी के वृक्ष का एक पत्ता नियमित रूप से जरूर चढ़ाएं.
शमी के पौधे को बिना नहाए हुए स्पर्श न करें और रात के समय इसके स्पर्श से बचें.
यदि आप शुभ काम के लिए अच्छे काम के लिए घर से जाने से पहले इस पौधे का दर्शन जरूर करें.
इस पौधे की नियमित पूजा करें जिससे हर तरह की पीड़ा का नाश होता है.
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