पटना: Virat Ramayana temple: पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया-चकिया पथ पर कैथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मंदिर का निर्माण 20 जून से प्रारंभ हो जाएगा. वर्ष 2025 के सावन तक मंदिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना हो जाएगी. उसी साल आखिर तक विराट रामायण मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. मन्दिर के कुल 12 शिखरों की साज-सज्जा में और दो वर्ष लगेंगे. महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने मंगलवार को महावीर मंदिर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह महत्वपूर्ण घोषणा की.


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आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि विराट रामायण मंदिर तीन मंजिला होगा. मंदिर में प्रवेश के बाद प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन होंगे. वहां से बढ़ते ही काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग के दर्शन होंगे. महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराश कर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया जा रहा है. आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है. शिवलिंग का वजन 200 टन, ऊँचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इतने वजन के शिवलिंग को लाने के लिए चकिया से कैथवलिया की 10 किलोमीटर की दूरी तक सड़क और पुल-पुलिया के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण का अनुरोध बिहार के मुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री से किया गया है.


आकार और ऊंचाई में भव्यतम होगा विराट रामायण मंदिर


आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्ग फुट होगा. सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा. वहीं एक शिखर 98 फीट का होगा. जबकि 180 फीट के चार शिखर रहेंगे. 135 फीट का एक शिखर और 108 फीट ऊंचाई के 5 शिखर होंगे. विराट रामायण मंदिर की लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या में बन रहे रामलला मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट है. जबकि सबसे ऊंचा शिखर 135 फीट का है. विराट रामायण मंदिर में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिर होगा. मंदिर निर्माण के लिए 120 एकड़ जमीन उपलब्ध है.  आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि बगैर अग्रिम भुगतान के एजेंसी कार्य करेगी. कार्य के आधार से पर भुगतान किया जाएगा. विराट रामायण मंदिर अयोध्या जनकपुर तक बन रहे राम जानकी मार्ग पर स्थित है.


कंबोडिया सरकार की आपत्ति से पांच साल रुकावट


विराट रामायण मंदिर का नाम पहले विराट अंकोरवाट मन्दिर रखा गया था. कंबोडिया के अंकोरवाट मन्दिर से मिलते नाम के कारण कंबोडिया सरकार ने वर्ष 2012 में अपनी आपत्ति दर्ज की. उसी वर्ष मंदिर का भूमि पूजन हुआ था. जिसके बाद महावीर मंदिर न्यास ने कंबोडिया की आपत्ति के बाद मन्दिर का नाम विराट रामायण मंदिर कर दिया. 5 साल तक विभिन्न पत्राचार और कवायद के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की उस रिपोर्ट के बाद मामला सुलझा. जिसमें विराट रामायण मंदिर को अंकोरवाट मन्दिर से अलग बताया गया.


इनपुट-शिवम


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