पटना: Makar Sankranti Importance of Til: मकर संक्रांति का त्योहार आने वाला है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं. संक्रांति का यह पर्व बदलाव का प्रतीक है. इस पर्व में एक खास भूमिका निभाता है तिल. तिल के छोटे छोटे दाने का मकर संक्रांति पर बहुत महत्व है. इस दिन तिल का दान करना उत्तम माना जाता और तिल गुड़ का प्रसाद भी खाया जाता है. 


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इसलिए है बेहद जरूरी
एक छोटा सा तिल, आखिर इस पर्व पर क्यों जरूरी हो जाता है. दरअसल इसके कई कारण हैं. पौराणिक कारण मानें तो इसका रहस्य तिल की उत्तपत्ति में छिपा है. तिल को गंगा की ही तरह पवित्र माना गया है. वो इसलिए, क्योंकि जैसे गंगा नदी श्री हरि के चरणों से निकलती है, वैसे ही तिल भी उनके ही शरीर से उत्पन्न हुआ है.


ऐसे हुई तिल की उत्पत्ति
तिल की उत्पत्ति का ये जिक्र पौराणिक कथाओं में भी हैं. कहते हैं कि ' जब हिरण्य कश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को लगातार कष्ट देकर परेशान कर रहा था तो यह देखकर भगवान विष्णु क्रोध से भर उठे. क्रोधित होने के कारण गुस्से में उनका सारा शरीर पसीने से भर गया. यह पसीना जब जमीन पर गिरा तब तिल की उत्पत्ति मानी जाती है. '


मोक्ष का मार्ग दिखाता है तिल
माना जाता है कि जिस तरह गंगा जल का स्पर्श मृत आत्माओं को वैकुंठ के द्वार तक पहुंचा देता है ठीक इसी तरह तिल भी पूर्वजों, भटकती आत्माओं और अतृप्त जीवों को मोक्ष का मार्ग दिखाता है. इसलिए संक्रांति पर तिल छू कर दान करने की परंपरा है.


चार कर्तव्य का प्रतीक है तिल
इसके साथ ही यह भी मानते हैं कि संक्रांति से दिन तिल तिल करके बड़ा होता जाता है. तिल वर्षा ऋतु की खरीफ की फसल है. तिल का दाना दाना छोटा व चपटा होता है. इसकी तीन किस्में काला, सफेद और लाल पाई जाती हैं. इनमें काला तिल पौष्टिक व सर्वोत्तम है .आयुर्वेद के छह रसों में से चार रस तिल में होते हैं, तिल में एक साथ कड़वा, नमकीन, मधुर एवं कसैला रस पाया जाता है. ये चारों रस चार कर्तव्य के प्रतीक हैं, जिन्हें धर्म अर्थ काम मोक्ष के नाम से जाना जाता है. इसलिए मकर संक्रांति पर तिल का महत्व बढ़ जाता है.


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