पटना: आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा 124वां संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया. संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में 323 वोट पड़े वहीं, विरोध में सिर्फ 3 वोट पड़े. आज बिल को राज्यसभा में पेश किया जाना है. 


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वहीं, राज्यसभा में बिल अटक भी सकती है क्योंकि राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं है. ऐसे में बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए सरकार को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा. अभी देश में कुल लगभग 49 फीसदी आरक्षण है. वहीं, संविधान में भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है जिसे सरकार जोड़ना चाहती है.



लोकसभा में बिल पास कर सरकार ने एक बाधा पार कर ली लेकिन राज्यसभा में इसे पार करना चुनौतीपूर्ण होगा. वहीं, बिहार की राजधानी में भी चौक-चौराहों से लेकर घर-घर में इसकी चर्चा हो रही है.


उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'ऊंची जाति के गरीबों को आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने वाले विधेयक में पिछड़ेपन का पैमाना वही रखा गया है, जो ओबीसी समाज के लोगों के लिए लागू है. सरकार दलितों-पिछड़ों के हितों को कोई नुकसान पहुंचाये बिना गरीब सवर्णों का कल्याण करना चाहती है, इसीलिए संविधान संशोधन.'


 



वहीं, तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, 'अगर 15 फ़ीसदी आबादी को 10% आरक्षण तो फिर 85 फ़ीसदी आबादी को 90% आरक्षण हर हाल में मिलना चाहिए. 10% आरक्षण किस आयोग और सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर दिया जा रहा है? सरकार विस्तार से बताएं.'


 



वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया और कहा, मैं आर्थिक आधार पर ऊंची जातियों को 10% आरक्षण देने का समर्थन करता हूँ पर इसमें उन्ही बच्चों को प्राथमिकता मिलें जो सरकारी विद्यालयों में पढ़े हों. आज भी गांवों में टोलों को देखकर पता लगाया जा सकता है कि वहां किस जाति वर्ग के लोग रहते हैं, ऐसा क्यों?


मैं पूछना चाहता हूं सरकार से, आखिर 10% ही क्यों, 15% या 5% क्यों नहीं? अगर आरक्षण का दायरा तोड़ना ही है तो जनसंख्या के अनुरूप सभी समूहों को आरक्षण दीजिए.


वहीं, पटना में जी मीडिया संवादता ने आम लोगों से इसपर बात करने की कोशिश की तो ज्यादातर लोगों ने बिल का स्वागत किया. इसे नरेंद्र मोदी का सराहनीय कदम माना और इसे सकारात्मक कदम माना गया.