Red Sandalwood: फिल्म पार्ट पुष्पा-1 और 2 की कहानी शेषाचलम के जंगल और लाल चंदन की तस्करी पर बेस्ड है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लाल चंदन की क्यों इतना मंहगा क्यों होता है. यहां जानिए इसके बारे में...
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Why Red Sandalwood Is Expensive And Smuggled: पुष्पा-1 और पुष्पा-2 जैसी फिल्मों ने दर्शकों को लाल चंदन की तस्करी की दुनिया से परिचित कराया है. इन फिल्मों की कहानी शेषाचलम के जंगलों और लाल चंदन की तस्करी के इर्द-गिर्द घूमती है. ये जंगल आंध्र प्रदेश के तिरुपति और कडप्पा की पहाड़ियों में स्थित हैं. यहां उगने वाला लाल चंदन, जिसे रक्त चंदन भी कहते हैं, अपनी विशेष खूबियों और ऊंची कीमत के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस रक्त चंदन की ऐसी भी क्या अहमियत हैं, जो ये इतनी महंगी होती है और क्यों इसकी तस्करी इतने बड़े लेवल पर की जाती है? यहां जानिए ऐसे ही हर सवाल का जवाब...े
लाल चंदन की दुर्लभता और महंगाई
लाल चंदन को दुनिया के सबसे दुर्लभ और महंगे चंदनों में गिना जाता है. इसकी दुर्लभता के कारण इसकी कीमतें आसमान छूती हैं. आंध्र प्रदेश में लाल चंदन की कटाई और इसे राज्य से बाहर ले जाना कानूनी तौर पर प्रतिबंधित है. इस वजह से तस्करों का ध्यान इस पर केंद्रित रहता है.
चीन तक पहुंचती है तस्करी की जड़ें
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, तस्करों को लाल चंदन से करीब 1200% तक का मुनाफा होता था. 2016 से 2020 के बीच करीब 20,000 टन लाल चंदन की तस्करी की गई. चेन्नई, मुंबई, तुतीकोरिन और कोलकाता जैसे पोर्ट्स के जरिए यह चंदन नेपाल और चीन जैसे देशों तक पहुंचता रहा.
लाल चंदन की विशेषताएं
लाल चंदन का उपयोग महंगे फर्नीचर, नक्काशी और सजावटी सामान बनाने में किया जाता है. साथ ही इसे पारंपरिक चिकित्सा में भी इस्तेमाल किया जाता है. गठिया और त्वचा से जुड़ी समस्याओं के इलाज में इसकी एंटीसेप्टिक गुणकारी भूमिका होती है.
इतनी ऊंची होती है लाल चंदन की कीमत
जानकारी के मुताबिक लाल चंदन की कीमत गुणवत्ता के आधार पर 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये प्रति किलो तक हो सकती है. इसका मूल्य इस बात का प्रमाण है कि यह न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और औषधीय दृष्टि से भी अनमोल है.
पूजा-पाठ में लाल चंदन का महत्व
लाल चंदन का उपयोग शैव और शाक्त परंपराओं में पूजा के लिए किया जाता है. इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी बहुत है.
तस्करी से घट रही संख्या
लाल चंदन की अवैध कटाई और तस्करी के कारण इसके पेड़ों की संख्या तेजी से घट रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि बीते कुछ सालों में इसकी संख्या 50% तक कम हो चुकी है.
भविष्य की चुनौती और संरक्षण
लाल चंदन की अवैध तस्करी रोकने और इसके संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है. यह न केवल आर्थिक लाभ का स्रोत है, बल्कि हमारी प्राकृतिक धरोहर और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा भी है.