Champaran Mutton: ‘चंपारण मटन‘ फिल्म की स्क्रीनिंग दिल्ली के द्वारका स्थित भव्य और खूबसूरत बिहार सदन में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम के आयोजन में बिहार फाउंडेशन ने प्रमुख भूमिका निभाई, जो बिहार सरकार की एक संस्था है जो दुनिया भर में फैले बिहार के लोगों को जोड़ने, उनकी बेहतर ब्रांडिंग और बेहतर व्यावसायिक अवसर प्रदान करता है.
स्टूडेंट ऑस्कर के प्रतिष्ठित मंच पर सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली भारतीय लघु फिल्म 'चंपारण मटन' बिहार की परंपराओं के साथ-साथ नए बिहार की संस्कृति और चेतना का प्रतीक है. बिहार फाउंडेशन और नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस लघु फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग में इस बात का उल्लेख हुआ.
24 मिनट की इस फिल्म ने दुनिया भर की 2500 फिल्मों में से चुनी गई आखिरी 16 फिल्मों में जगह बनाई थी और अब इसे अगले महीने बीजिंग में होने वाले इंटरनेशनल स्टूडेंट फिल्म फेस्टिवल में भी शॉर्टलिस्ट किया गया है. इस फिल्म की सफलता से बिहार का चम्पारण शहर, एक नया लोकप्रिय व्यंजन चम्पारण मटन और लघु फिल्मों का महत्व सुर्खियों में आ गया है.
दिल्ली के द्वारका स्थित भव्य और खूबसूरत बिहार सदन में आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजन में बिहार फाउंडेशन ने प्रमुख भूमिका निभाई, जो बिहार सरकार की एक संस्था है जो दुनिया भर में फैले बिहार के लोगों को जोड़ने, उनकी बेहतर ब्रांडिंग और बेहतर व्यावसायिक अवसर प्रदान करता है. इस मौके पर बिहार फाउंडेशन के सीईओ और बिहार के स्थानिक आयुक्त सह निवेश आयुक्त कुंदन कुमार ने कहा कि आज ब्रांड बिहार एक नई पहचान स्थापित कर रहा है और सिनेमा भी इसके लिए एक सशक्त माध्यम साबित हो रहा है.
इस कार्यक्रम में बिहार कैडर और बिहार कनेक्शन के कई नौकरशाह और मीडिया बिरादरी और बिजनेस क्षेत्र के लोग भी शामिल हुए. विशेष उपस्थिति बिहार के पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान राज्य मुख्य सूचना आयुक्त त्रिपुरारि शरण की थी, जो भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के निदेशक और दूरदर्शन के महानिदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं.
फिल्म की स्क्रीनिंग में शामिल होने के लिए फिल्म के निर्देशक रंजन कुमार और अभिनेत्री फ़लक ख़ान भी मुंबई से आए थे. फिल्म में मुख्य भूमिका पंचायत वेब सीरीज़ फेम चंदन रॉय ने निभाई है, जो पंचायत-3 की शूटिंग में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ सके। ये तीनों ही बिहार से जुड़े कलाकार हैं.
‘चंपारण मटन‘ एक डिप्लोमा फिल्म है, जिसका निर्माण प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे ने किया। फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद इस फिल्म और सिनेमा में ब्रांड बिहार के विषय पर एक परिचर्चा भी हुई, जिसका संचालन न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन के फाउंडर आशीष कुमार सिंह ने किया. निर्देशक रंजन कुमार ने जहां चंपारण मटन फिल्म के बनने के पीछे की कहानी और चंपारण में मटन के क्रेज़ के बारे में बताया, वहीं मूलत: मुज़फ्फरपुर की रहने वाली फ़लक खान ने बताया कि एक अभिनेत्री के तौर पर बिहार से मुंबई तक का सफर कितना चुनौतीपूर्ण रहा.
हिंदी सिनेमा में बिहार के योगदान पर चर्चा करते हुए आशीष के सिंह ने भिखारी ठाकुर के बिदेसिया, गीतकार शैलेंद्र, बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा, निर्देशक प्रकाश झा के योगदान से लेकर नए दौर के अभिनेता मनोज वाजपेयी, स्व. सुशांत सिंह राजपूत और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों के योगदान को रेखांकित किया और बताया कि इन कलाकारों की बदौलत बिहार ने फिल्म उद्योग में एक मज़बूत और बिलकुल अलग पहचान कायम की है.
इस पूरे कार्यक्रम की एक और खास बात रही चंपारण मटन डिश बनाने की पारंपरिक रेसिपी का लाइव डेमो, जिसके बाद दर्शकों को डिनर में भी इसे खाने का मौका मिला. इस लाइव डेमो और चंपारण मटन युक्त डिनर का आयोजन द्वारका के बिहार सदन स्थित फूड आउटलेट ‘बिहार से… बाई पनाश’ ने किया था. कार्यक्रम के अंत में बिहार फाउंडेशन के सीईओ कुंदन कुमार ने निर्देशक रंजन कुमार और अभिनेत्री फ़लक खान को सम्मानित किया.