Bihar Fair: सोनपुर के ही नहीं बिहार के इन मेलों में दिखती है संस्कृति की झलक

Bihar Fair: बिहार एक ऐसा राज्य है जहां संस्कृति, परंपराएं, और मेलों की परंपरा आज भी जीवित है. यहां के मेले और उत्सव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का प्रतीक हैं, बल्कि ये समाज के कई वर्गों को एक साथ लाने का जरिया भी है.

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सोनपुर मेला

सोनपुर मेला को हरिहर क्षेत्र मेला भी कहा जाता है. एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है. यह मेला बिहार के सारण जिले में सोनपुर नामक स्थान पर गंगा और गंडक नदियों के संगम पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है. यह मेला पशुओं की खरीद-बिक्री के लिए फेमस है. सोनपुर मेला केवल एक व्यापारिक मेला नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का केंद्र भी है.

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श्रावणी मेला

बिहार का सबसे धार्मिक मेला श्रावणी मेला माना जाता है. जो सावन के महीने में सुल्तानगंज से देवघर तक कांवड़ यात्रा के रूप में मनाया जाता है. यह यात्रा भगवान शिव की आराधना के रूप में जानी जाती है. लाखों शिव भक्त गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर सुल्लतानगंज से 105 किमी की पैदल यात्रा कर देवघर के बाबा बैघनाथ धाम मंदिर पहुंचते हैं.

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राजगीर महोत्सव

राजगीर महोत्सव बिहार के प्रमुख सांस्कृतिक महोत्सवों में से एक माना जाता है. जो हर साल नवंबर-दिसंबर के महीने में आयोजित किया जाता है. यह महोत्सव तीन दिनों तक चलता है. इसमें लोक कलाओं का भव्य प्रदर्शन होता है. यहां देशभर के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. 

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सौराठ सभा

मिथिला क्षेत्र का एक अनोखा और प्राचीन मेला सौरठ सभा है. जहां पारंपरिक रूप से शादी तय की जाता है. यह मेला बिहार के सौरठ गांव में आयोजित होता है. इस सभा में अलग-अलग गांवों के लोग आते हैं और अपनी जाति के आधार पर वर-वधू की शादियां तय करते हैं.

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बांका गोवर्धन पूजा मेला

गोवर्धन पूजा बिहार के बांका जिले का एक प्रमुख धार्मिक मेला है. यह मेला गोवर्धन की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. जहां भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गांववालों की रक्षा की थी. इस मेले में ग्रामिणों की तरफ गोवर्धन की पूजा की जाती है.

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