पटना: बिहार के पटना में प्रदूषण की बड़ी वजह धूलकण है. पीएम 2.5 के तीन गुना बढ़ने के कारण ही पटना सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. पीएम 2.5 कंस्ट्रक्शन डीजल गाड़ियों के धुएं, पराली जलाने के कारण बढ़ते हैं. लेकिन पटना में लगातार हो रहे कंस्ट्रक्शन ने वायु को प्रदूषित कर दिया है. पटना में कई पुल 5 सालों से बन रहे हैं लेकिन अब तक उनका काम नहीं पूरा हुआ है. 


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इसका बड़ा उदाहरण सिपारा रोड, मीठापुर फ्लाईओवर, जीरोमाइल फ्लाईओवर, फतुहा फ्लाईओवर हैं. लगभग साढ़े 750 करोड़ के ये प्रोजेक्ट तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं हुए हैं.



दूसरा उदाहरण है पटना में बननेवाला लोहिया पथचक्र. लगभग 400 करोड़ का ये प्रोजेक्ट दिसंबर 2015 में शुरू हुआ था. दो सालों में प्रोजेक्ट को पूरा होना था. लेकिन अबतक काम पूरा नही हों सका है.


वहीं, आरजेडी ने वायु प्रदूषण के लिए सरकार को ठहराया. विधायक राहुल तिवारी ने बयान देते हुए कहा है कि प्रोजेक्ट का एस्टीमेट बढ़ाने के चक्कर मे सरकार लगातार बेतरतीब कंस्ट्रक्शन करवा रह है. पटना में पुल सड़क निर्माण का कोई भी काम तय समय मे नहीं हो रहा पूरा. सभी पेड़ कट गए हैं जिसके कारण लोगो की परेशानी और बढ़ गई.


बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया ने कहा है कि जिन लोगों ने विकास किया नहीं वो आज बयान दे रहे हैं. विकास के काम में बढ़ोतरी हुई है. इसी परेशानी से निजात के लिए सरकार ने जल जीवन हरियाली कार्यक्रम की शुरुआत की है. पॉल्युशन से निपटने के लिए बयान देने की बजाय सबको योगदान देना होगा.


साथ ही जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. सरकार की कोशिश है कि दोनों के बीच सामंजस्य बन सके.