आनंद मोहन और नीतीश कुमार के बीच तकरीबन आधे घंटे तक बातचीत हुई है. हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इस बात की जानकारी शेयर नहीं की गई है.
Trending Photos
Bihar Politics: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन ने जेल से निकलने के बाद राजनीतिक रूप से एक्टिव हो चुके हैं. रिहाई के बाद अब वो महागठबंधन के नेताओं से मुलाकात करने में लगे हैं. इस कड़ी में उन्होंने बुधवार (24 मई) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. इससे ठीक एक दिन पहले यानी 23 मई को उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की थी. बता दें कि रिहाई के बाद आनंद मोहन पहली बार लालू-नीतीश से मिले हैं.
बताया जा रहा है कि आनंद मोहन और नीतीश कुमार के बीच तकरीबन आधे घंटे तक बातचीत हुई है. हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इस बात की जानकारी शेयर नहीं की गई है. लेकिन माना जा रहा है कि दोनों ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की है. इसी तरह से लालू यादव से भी उनकी लंबी वार्ता चली थी. हालांकि आनंद मोहन ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया है.
गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में सजा काट रहे आनंद मोहन को जेल से निकालने के लिए नीतीश सरकार ने जेल मैन्युअल तक में बदलाव कर दिया था. माना जा रहा है कि राजपूत वोटरों को मनाने के लिए ये सबकुछ किया गया है. दरअसल, आनंद मोहन राजपूत समाज के बड़े नेता माने जाते हैं और बिहार में राजपूत समाज की 6 फीसदी से ज्यादा आबादी है. कई सीटों पर इस समाज के लोग हार-जीत का फैसला करते हैं.
ये भी पढ़ें- 'झूठ बोलिएगा त फैट चला देंगे', RJD नेता का कॉलर पकड़ महिला ने कहा
सवर्ण वोटर अभी तक बीजेपी का कोर वोटर माना जाता रहा है. बीजेपी को हमेशा राजपूत समाज के लोग भरभर कर वोट देते रहे हैं यही वजह है कि बिहार में राजपूत बिरादरी से बीजेपी से 5 सांसद हैं. अब आनंद मोहन के सहारे महागठबंधन इस वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. आनंद मोहन भी महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में जुटे हैं. उन्होंने तो ऐलान भी कर दिया है कि वो हाथी हैं और कमल को कुचल कर रख देंगे. अब ये समय बताएगा कि नीतीश-लालू की जोड़ी को आनंद मोहन की रिहाई का फायदा मिलता है या नुकसान होगा. क्योंकि इस फैसले से दलित वोटर नाराज हो गए हैं और बिहार में इनकी आबादी 18 फीसदी से ज्यादा है.