पटना: Bihar Politics: बिहार में जातीय सर्वे के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. सर्वे में यादव जाति की सबसे अधिक संख्या के होने के बाद बीजेपी ने पटना में यदुवंशी समाज का मिलन समारोह कर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नई सियासी जमीन तलाशने के संकेत दे दिए. यादव समाज को अब तक सत्ताधारी पार्टी राजद का वोट बैंक समझा जाता रहा है, लेकिन बीजेपी की नजर अब इन्हीं यादवों पर टिकी है. मंगलवार को पटना में बीजेपी यदुवंशी समाज मिलन समारोह में 21 हजार लोगों के बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने का दावा कर रही है. हालांकि, इसमें किसी बड़े नेता का नाम शामिल नहीं है, फिर भी बीजेपी ने इस समारोह के जरिए इतना तो साफ कर ही दिया कि अब उनकी नजर यादव मतदाताओं पर है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


पाटलिपुत्र के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव कहते हैं कि कोई भी समाज किसी की जागीर नहीं हैं. मिलन समारोह में बड़ी संख्या में यदुवंशी समाज के लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि ऐसा नहीं है कि यादव बीजेपी के साथ नहीं हैं. जनसंघ के जमाने से यादव समाज बीजेपी के साथ जुड़ा है.


दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद बीजेपी राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने के प्रयास में है. जाति गणना रिपोर्ट आने के बाद पार्टी ने अति पिछड़ा के साथ ही दलित एवं यादवों को साधना भी शुरू कर दिया है. माना यह भी जा रहा है कि बीजेपी की कवायद यादव जाति के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का है. पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार के 40 में से 39 सीटें एनडीए के खाते में आई थी. अगले लोकसभा चुनाव में अगर यादव मतदाताओं का कुछ भी हिस्सा बीजेपी के साथ आया तो पार्टी को जहां लाभ होगा, वहीं इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ेगा।


राजद के विधायक भाई वीरेंद्र बीजेपी के मिलन समारोह को दिखावा बताते हुए कहते हैं कोई भी प्रलोभन यादवों को मिल जाए, लेकिन यहां यादव लालू प्रसाद को छोड़ने वाले नहीं हैं. उन्होंने तो यहां तक कहा कि नरेंद्र मोदी भी यहां आकर यादव सम्मेलन कर लें, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.


इनपुट- आईएएनएस


ये भी पढ़ें- Bihar News: भागलपुर इंटरसिटी जयनगर एक्सप्रेस ट्रेन में हुआ धमाका, महिला समेत 3 यात्री घायल