Bihar Politics: UP मदरसा एक्ट पर SC ने पलट दिया HC का फैसला, इससे चढ़ गया बिहार का सियासी पारा
Bihar Politics: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि हम लोग कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन यह भी देखना होगा कि मदरसा का मकसद क्या है.
Bihar Politics: उत्तर प्रदेश के मदरसा कानून पर आज यानी मंगलवार (5 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया. इस पर बिहार का सियासी पारा चढ़ गया और बयानबाजी शुरू हो गई है. इस पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि कोर्ट के निर्णय पर कुछ बोलना ठीक नहीं है. कोर्ट सभी पहलुओं को देखकर भी निर्णय सुनता है, लेकिन बीजेपी के लोग जो अनाप-शनाप बोलते रहते हैं. अब उन्हें सोचना चाहिए. आरजेडी प्रवक्ता ऋषि मिश्रा ने कहा कि यह तमाचा है कुछ लोग जो अनर्गल बोलते रहते हैं. वहीं जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि कोर्ट के निर्णय का हमेशा से सम्मान करते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट सभी पहलुओं को देखकर ही निर्णय दिया है, लिहाजा यह स्वागत योग्य है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि हम लोग कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं. हालांकि, उन्होंने आगे कहा कि यह भी देखना होगा कि मदरसा का मकसद क्या है और वहां क्या चल रहा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से समाजवादी पार्टी खुश हो गई है. सपा नेता फखरुल हसन चांद ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षा सवाल खड़े करती है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हमेशा लोगों को शिक्षा से वंचित करने का काम किया है. बीजेपी को सवाल से दिक्कत है. फिर वो शिक्षा चाहे प्राथमिक विद्यालय से मिल रही हो या मदरसे से. देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर से मदरसा एक्ट पर आए फैसले का हम खुले दिल से स्वागत करते हैं.
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बता दें कि साल 2004 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते ये कानून पास हुआ था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है और यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है. सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ प्रावधानों को छोड़कर 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को हमने स्वीकार किया है और उसके खिलाफ कोई अर्जी दाखिल न करने का फैसला लिया है. यूपी सरकार के वकील ने कहा कि मदरसा एक्ट को पूरी तरह रद्द करने का फैसला ठीक नहीं, एक्ट के सिर्फ उन प्रावधानों की समीक्षा होनी चाहिए जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ है, एक्ट को पूरी तरह खारिज करना उचित नहीं है.
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