पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से पहले नीतीश सरकार से महत्वपूर्ण मांग की है. उन्होंने कहा है कि विधानमंडल में सरकार को जातीय सर्वे की पंचायत-वार रिपोर्ट और उसके आधार पर तैयार होने वाले विकास मॉडल का प्रारूप प्रस्तुत किया जाना चाहिए.


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सांसद सुशील कुमार मोदी ने बताया कि पिछले साल बिहार सरकार ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के लिए डेडीकेटेड अतिपिछड़ा आयोग गठित किया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है, और इसे विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि जातीय सर्वे कराने का निर्णय उस समय किया गया था, जब उनकी भाजपा सरकार बिहार में थी और उस समय आरजेडी सरकार में नहीं थी. वे इस बात पर विचार करने की आगाही देते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद आज भी उस कांग्रेस के साथ हैं. जिसने कई दशकों तक केंद्र और राज्यों की सत्ता में रहने के बाद भी न जातीय जनगणना कराई न विशेष आरक्षण दिया.


उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 2015 में जातीय सर्वे कराया था और उसकी रिपोर्ट आठ साल से दबी हुई है. उन्होंने पूछा कि फिर भी नीतीश कुमार राहुल गांधी से इस संदर्भ में क्यों बात नहीं कर रहे हैं. वे यह भी बताते हैं कि तेलंगाना में केसीआर की सरकार ने भी जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी नहीं की है. सुशील मोदी के इस बयान से यह साफ होता है कि जातीय सर्वे की मांग एक महत्वपूर्ण विषय है और उनका कहना है कि इसे जल्दी से सार्वजनिक करना चाहिए. वे इसे एक सामाजिक और आर्थिक सुधार के रूप में देखते हैं जो बिहार के विकास को बढ़ावा देगा.


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