Bihar Politics: मिशन 2024 को लेकर सभी राजनैतिक पार्टियां जोर आजमाइश में लग गई है. जातीय गणना में दलित समुदाय की आबादी बढ़कर लगभग बीस फीसदी हो गई है. इस समुदाय को अपने पाले में गोलबंध करने को लेकर बिहार में बड़े-बड़े राजनैतिक कार्यक्रम और बयानबाजी देखने को मिल रहा है. सभी राजनैतिक दल अपने को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताए हुए दूसरे दल पर सवाल खड़ा कर रहे है. चलिए सियासी बयानबाजी को समझते हैं. 


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दरअसल, पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में पिछले दिनों जेडीयू ने भीम संसद के जरिए अपनी ताकत दिखाई. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोगों ने भागेदारी की और जेडीयू ने समाज में एक संदेश देने में सफल रही, लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर बीजेपी सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कहकर नकारने में लगी रही. 
इसके बाद स्थापना दिवस के नाम पर एलजेपी के दोनों खेमों ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया. चिराग गुट ने पटना में, तो पशुपति पारस गुट ने हाजीपुर में हुंकार भरा. 


वहीं, 6 दिसबंर, 2023 दिन बुधवार को बाबा साहेब के निर्वाण दिवस के मौके पर सभी राजनैतिक पार्टियां कार्यक्रम आयोजित कर रही है, लेकिन बीएसपी ने पोस्टर बैनर से शहर को पाट दिया है और बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर रही है. बीजेपी पटना के मिलर हाई स्कूल मैदान में आंबेडकर समागम के जरिए 7 दिसबंर, 2023 दिन गुरुवार को अपना दम दिखाएगी. बीजेपी अपने को दलितों का सच्चा हितैषी करार देते हुए जेडीयू समेत दूसरे पार्टियों को इन्हें ठगने वाला करार दे रही है.


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इधर, जेडीयू कह रही है कि बीजेपी का दलित प्रेम दिखावा है. इन्होंने दलितों के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि इनकी हकमारी भी करने में लगी है. जेडीयू कोटे से बिहार सरकार में मंत्री रत्नेश सदा ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये दलितों का आरक्षण बंद करने वाले और बाबा साहेब का संविधान बदलने की जुगत में लगे लोग हैं. वहीं, आरजेडी ने भी बीजेपी को दलित विरोधी करार देते हुए खुद अपनी पार्टी और जेडीयू को दलितों का हिमायती बताया है.


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कांग्रेस भी बीजेपी के आंबेडकर समागम कार्यक्रम को लेकर कहा कि चुनाव करीब आ गया है तो इन्हें दलित याद आएं हैं. इन्होंने दलितों के लिए तो छोड़िए किसी के लिए कुछ नहीं किया और जो कहा वो सिर्फ जुमलाबाजी साबित हुआ. ऐसे में अब इनके दलित कार्यक्रम से कुछ नहीं होने वाला है.


रिपोर्ट: रजनीश