Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कब, कौन सा फैसला लेंगे, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है. पिछले 20 साल से चुनावों में रिजल्ट चाहे जो भी आए हों, लेकिन सत्ता सिर्फ नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. नीतीश कुमार की राजनीतिक जीवन मे हार-जीत का दौर चलता रहा है. कई बार जब लोग उन्हें चुका हुआ मान लेते हैं तो वो फिर से उठकर खड़े हो जाते हैं. शायद यही वजह है कि लोग उन्हें मौजूदा बिहार का चाणक्य कहते हैं. अपनी बार्गेनिंग पॉवर की वजह से वह पिछले 19 वर्षों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं. पर अबकी बार बीजेपी ने उनके साथ बड़ा गेम कर दिया. नीतीश कुमार समझ ही नहीं पाए और बीजेपी ने बिहार विधानसभा के साथ-साथ बिहार विधान परिषद की कमान भी अपने हाथों में ले ली. 


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दरअसल, जेडीयू के देवेशचंद ठाकुर के बाद अब बीजेपी के अवधेश नारायण सिंह को बिहार विधान परिषद का कार्यकारी सभापति बनाया गया है. बता दें कि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव भी बीजेपी कोटे से ही हैं. अभी तक उच्च सदन की कमान जेडीयू के हाथों में थी. लेकिन अब बिहार विधान परिषद का कार्यकारी सभापति भी बीजेपी का हो गया है. इस तरह से दोनों सदनों पर बीजेपी का पूरा कंट्रोल हो गया है. इससे सवाल ये उठता है कि इस नुकसान की भरपाई जेडीयू कहां और कैसे करेगी. कुछ लोगों का कहना है कि जेडीयू इस घाटे को केंद्र से वसूलेगी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि जेडीयू को राज्यसभा में उपसभापति का पद मिल सकता है. 


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वहीं लोकसभा स्पीकर की कुर्सी बीजेपी अपने पास ही रखेगी, जबकि डिप्टी स्पीकर की कुर्सी टीडीपी को दी जा सकती है. बता दें कि राज्यसभा के उपसभापति का पद जेडीयू के पास पहले से था. इस पद पर जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह काबिज हैं. हालांकि, उनका कार्यकाल अब समाप्त होने की कगार पर है. सूत्रों के मुताबिक, एनडीए सरकार 3.0 में भी यह पद जेडीयू को मिल सकता है. इस तरह से जेडीयू को बिहार में जो नुकसान हुआ है, उसे दिल्ली में पूरा किया जाएगा.