पटना: बिहार में सत्ता से हटने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब विरोधियों पर सियासी आक्रमण तेज कर दिया है. भाजपा ने विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा में विपक्ष के नेता तथा विधान परिषद में पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को विपक्ष का नेता बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं.


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सिन्हा क्यों बने बीजेपी हाईकमान की पसंद?
पूर्व मंत्री सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं जबकि चौधरी कुशवाहा समाज से आते हैं. माना जाता है कि भूमिहार समुदाय भाजपा से नाराज है. बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राजद की जीत को इस पर मुहर मानी जा रही है. ऐसे में इस समीकरण को साधने के लिए भाजपा ने नेता विपक्ष के तौर पर विजय कुमार सिन्हा को आगे किया है.


सम्राट पर क्यों लगाया दांव?
इधर, भाजपा ने सम्राट चौधरी को बड़ा दायित्व देकर कुशवाहा समाज को भी साधने की कोशिश की है. सम्राट चौधरी राजद के दिग्गज नेता शकुनी चौधरी के पुत्र हैं. कहा जाता है कि भाजपा ने जदयू के उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को मात देने के लिए सम्राट चौधरी को आगे किया है.


नीतीश को 'नापसंद' विजय-सम्राट
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पसंद नहीं बताए जाते हैं. एनडीए सरकार में भी नीतीश कुमार नहीं चाहते थे कि सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष नहीं बने.


फ्रंटफुट पर बल्लेबाजी करेगी बीजेपी! 
कहा जा रहा है कि भाजपा ने सिन्हा और चौधरी को सदन में विपक्ष का चेहरा बना कर सत्ता पक्ष को यह साफ संदेश दे दिया है कि भाजपा अब आक्रामक रणनीति तैयार कर ली है. ऐसे में तय माना जा रहा है भाजपा बिहार की सियासी पिच पर फ्रंटफुट पर बल्लेबाजी करेगी.


(आईएएनएस)