पटना: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सोमवार को दावा किया कि बीपीएससी एग्जाम के जरिए भरे जाने वाले पदों के लिए हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है. इस बारे में उन्हें कही से जानकारी मिली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आंदोलन को लेकर एक शब्द भी न बोलने को लेकर प्रशांत किशोर ने निराशा जताते हुए कहा, मैं भी कभी नीतीश कुमार का करीबी सहयोगी हुआ करता था. किशोर ने कहा, पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल करने के बावजूद अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं. मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं और जब वहां पत्रकारों ने आंदोलन के बारे में सवाल पूछने के लिए उनसे संपर्क किया तो उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला.


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प्रशांत किशोर ने एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा था, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का इंतजार करें, जो शायद कोई ऐसा रुख अपनाएं जिससे गतिरोध खत्म हो सके, लेकिन मुख्यमंत्री चुप्पी साधे रहे. राजनीति में पीके नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने दावा किया कि बीपीएससी फिर से परीक्षा कराने का आदेश इसलिए नहीं दे रहा है, क्योंकि करोड़ों रुपये का पहले ही लेन-देन हो चुका है. ऐसा प्रदर्शनकारियों का मानना है. 


बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रवेश प्रतियागी परीक्षा, 2024 में 900 से अधिक केंद्रों पर करीब 5 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. पटना के एक परीक्षा केंद्र पर सैकड़ों अभ्यर्थियों ने प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार कर दिया, जिसका बीपीएससी ने खंडन करते हुए परीक्षा रद्द करवाने की एक साजिश" बताया था. हालांकि बाद में आयोग ने पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर हुई परीक्षा को कैंसिल कर वहां रि—एग्जाम का आदेश दे दिया था.


प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि कुछ अभ्यर्थियों के लिए फिर से परीक्षा कराना समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ होगा और इसलिए पूरी परीक्षा रद्द कर ​नए सिरे से परीक्षा कराई जानी चाहिए. प्रशांत किशोर ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि उन्हें मुख्य सचिव अमृत लाल मीना द्वारा प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने की इच्छा दिखाए जाने बाद सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है.


जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि उनकी पार्टी से जुड़े लोगों का नाम प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में शामिल किया गया है. उनपर बिना इजाजत प्रदर्शन करने का आरोप है. किशोर ने कहा, हमें किस बात का दोषी ठहराया गया है? कोई तोड़फोड़ नहीं हुई. किसी वीआईपी काफिले की आवाजाही में बाधा नहीं डाली गई. न ही हमारे कार्यक्रम से कोई सार्वजनिक कार्यक्रम प्रभावित हुआ.


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उन्होंने कहा, कई पुलिस अधिकारियों ने ज्यादती की और हम उनके खिलाफ़ कोर्ट जाएंगे. किशोर ने दावा किया कि बिहार में ऐसी स्थिति इसलिए है क्योंकि राज्य को ऐसे लोग चला रहे हैं, जिनकी कोई जवाबदेही नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सब कुछ सेवानिवृत्त नौकरशाहों की अपनी मंडली को सौंप दिया है, जो राजनीतिक नेताओं की तरह लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं और न ही वे सेवारत अधिकारियों की तरह सेवा नियमों से बंधे हैं.


भाषा


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