Caste Based Census Report: जातीय जनगणना की रिपोर्ट आई बिहार से, MP में विपक्ष पर बरस पड़े पीएम मोदी!
तारीख दो अक्टूबर मौका गांधी जयंती का और पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के पहले के शोर में नारों और जनसभाओं के बीच बिहार सरकार ने एक ऐसा काम किया जिसके बाद देश का सियासी तापमान चरम पर पहुंच गया.
Caste Based Census Report: तारीख दो अक्टूबर मौका गांधी जयंती का और पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के पहले के शोर में नारों और जनसभाओं के बीच बिहार सरकार ने एक ऐसा काम किया जिसके बाद देश का सियासी तापमान चरम पर पहुंच गया. दरअसल बिहार सरकार के द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण जो कई अदालती पचड़ों से होकर गुजरी थी सरकार ने उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी. इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते हीं बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपनी पीठ थपथपाते नजर आए. बिहार का सियासी तापमान इस रिपोर्ट ने तो बढ़ाया ही. यहां के विपक्ष के नेता तो यहां तक पूछने लगे कि जब सरकार दावा कर रही थी कि जातीय सर्वेक्षण किसी भी जाति की सामाजिक आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए कराया जा रहा था तो इसमें जातियों की संख्या के आंकड़े क्यों जारी किए गए. उन जातियों की आर्थिक सामाजिक स्थिति की रिपोर्ट क्यों नहीं जारी की गई.
हालांकि नीतीश कुमार ने इसके बाद एक और दाव खेला उन्होंने इसको लेकर सर्वदलीय बैठक मंगलवार को बुला ली और इसको लेकर वहां प्रेजेंटेशन दिखाने और आगे इस पर क्या करना है इस पर फैसला लेने के लिए सबकी राय की बात कह दी. लेकिन, यह रिपोर्ट ऐसा सियासी पारा चढ़ा गया कि मध्यप्रदेश में हो रहे चुनाव प्रचार तक में इसका शोर सुनाई पड़ने लगा. वहां मंच पर पीएम नरेंद्र मोदी थे और उन्होंने इशारों में ही विपक्ष के इस काम पर जमकर हमला बोला.
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उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कह दिया कि वह पहले भी लोगों को जात-पात के नाम पर बांट रहे थे और आज भी लोगों को इसी के नाम पर बांटने का पाप कर रहे हैं. उन्होंने साफ कहा कि पहले भी विकास विरोधी लोग गरीबों की भावनाओं के साथ खेलते थे और आज भी खेलते हैं.
महिला आरक्षण पर विपक्ष के रवैये पर भी पीएम खूब बरसे उन्होंने यहां से कहा कि घमंडिया गठबंधन के नेता महिलाओं को लेकर कैसी-कैसी अपमानजनक बातें कर रहे हैं. ऐसे में ये चाहते ही नहीं कि महिलाओं को उनका हक मिल पाए और जाति-धर्म के नाम पर भ्रम फैला रहे हैं.
मतलब साफ था कि मोदी कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन के जरिए बिहार की इस जातीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट को लेकर भी हमला बोलते रहे. दरअसल बिहार में भी विपक्षी पार्टियों की चिंता इस रिपोर्ट को लेकर यही है कि सरकार ने जिस उद्देश्य से इस रिपोर्ट को तैयार करने का दावा किया था वह तो कहीं और छूट गया और सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस रिपोर्ट में से जातियों की संख्या के आंकड़े जारी कर दिए गए.