अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) 20 साल शासन करने वाले मुख्यमंत्री बन जाएंगे. हालांकि उसमें से करीब एक साल जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) का भी शासन शामिल रहा है. इस तरह नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले मुख्यमंत्री बन चुके हैं. अपने इन 20 साल के शासनकाल में नीतीश कुमार ने कानून व्यवस्था, ग्रामीण और शहरी सड़कों के विकास, औद्योगिकरण, लड़कियों की शिक्षा, रोजगार, सरकारी नौकरी आदि के क्षेत्र में बहुत काम किए. विरोधी कुछ भी कहें, लेकिन नीतीश कुमार के नाम उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है और यही कारण है कि नीतीश कुमार अरसे से अपने पद पर बने हुए हैं. बिहार की राजनीति में उनको नकारकर आज न तो भाजपा (BJP) पॉलिटिक्स कर सकती है और न ही राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress). फिर भी नीतीश कुमार एक वो काम नहीं कर पाए हैं, जिसकी वे कभी खुलकर वकालत किया करते थे. इस तरह नीतीश कुमार के मन में भी वो कसक बाकी रह गई होगी और संभव है कि इस विधानसभा के अंतिम साल में नीतीश कुमार वो कसक भी दूर कर देंगे.


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एक भी नया जिला नहीं बना पाए


वो कसक यह है कि नीतीश कुमार अपने 19 साल के शासनकाल में अब तक बिहार में एक भी नया जिला नहीं बना पाए हैं. अंतिम बार बिहार में जो जिला बना था, वो अरवल था. अरवल को राबड़ी देवी के शासनकाल में जिला बनाया गया था. जहानाबाद से अलग करके अगस्त 2001 में अरवल को जिला बनाया गया था. राबड़ी देवी ने केवल 8 साल बिहार में शासन किया था और एक नया जिला बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम हो गया पर नीतीश कुमार के 19 साल के शासनकाल में एक भी नया जिला बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम नहीं है.


पुलिस जिला से राजस्व जिला कब बनेगा बगहा?


अब सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार चुनावी साल में नया जिला बनाने की घोषणा कर सकते हैं? अगर हां तो वो कौन कौन से जिले होंगे? सबसे पहले बात बगहा की करते हैं. 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में बगहा पुलिस जिला घोषित किया गया था. 1996 में रामनगर प्रखंड के नर​कटिया दोन में एक बड़ा नरसंहार हुआ था और इसी के बाद बगहा को पुलिस जिला बनाया गया था. ​बगहा जिला के पहले एसपी आरके मल्ल्कि बने थे. उसके बाद से लेकर आज तक बगहा को राजस्व जिले का दर्जा दिए जाने की मांग उठती रही है. हर चुनाव में यह मुद्दा बनता है और चुनाव बाद शांत हो जाता है. कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बगहा को राजस्व जिला बनाने की बात कहते आए हैं. 


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बाढ़ को भी जिला बनने का इंतजार 


नीतीश कुमार खुद बाढ़ से 5 बार के सांसद रह चुके हैं. वे बाढ़ को भी कई बार जिला बनाने का ऐलान कर चुके हैं पर आज तक बाढ़ को जिला नहीं बनाया जा सका है. 2008 तक बाढ़ लोकसभा क्षेत्र था लेकिन परिसीमन के बाद बाढ़ केवल अब विधानसभा क्षेत्र बनकर रह गया है. बाढ़ को जिला बनाने के लिए 70 के दशक से मांग उठती आ रही है. 22 मार्च 1991 को बाढ़ को संयुक्त बिहार का 51वां जिला बनाने की घो​षणा हुई थी. 1 अप्रैल को तत्कालीन डीएम अरविंद प्रसाद ने इसका औपचारिक उद्घाटन भी कर दिया था लेकिन अगले ही दिन 2 अप्रैल को यह फैसला कैंसिल कर दिया गया था. तब से लेकर आज तक बाढ़वासियों को इंतजार है कि उनका इलाका भी कभी जिला बन पाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वहां के निवासियों को भी अभी तक आश्वासन देते ही आए हैं.


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झंझारपुर वासी भी नए जिले की आस में


जिला बनाने की बात हो रही है तो झंझारपुर के लोगों को भी इस बात का इंतजार है कि कब उनका अपना नया जिला बनेगा. 1973 में झंझारपुर अनुमंडल का गठन हुआ था और 2 साल बाद यानी 1975 से ही अलग जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया. झंझारपुर को जिला बनाने के लिए कई आंदोलन किए गए. कुछ राजनीतिक दल तो झंझारपुर को तो अलग जिला मानकर अपना संगठन चलाते हैं. वहां इन पार्टियों का अपना जिलाध्यक्ष होता है. यहां के लोगों का कहना है कि झंझारपुर के पास जिला बनने की योग्यता है फिर भी इसे इग्नोर किया जा रहा है. वहां के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि जब भी बिहार में नए जिले बनाने की कवायद होगी, झंझारपुर का नाम उसमें जरूर शामिल होगा.


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