पटना: काम की गति पर जरा नजर दौड़ाइएगा. 22 सितंबर, 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस प्रस्ताव को पीएम मोदी के जेहन में लाया था, ठीक एक महीने बाद 24 अक्टूबर, 2024 को वह प्रस्ताव मोदी कैबिनेट की बैठक में लाया जाता है और उस पर मुहर लगा दी जाती है. यह पहला प्रस्ताव नहीं है, जिस पर इतनी जल्दी मुहर लगाई जा रही है. आम बजट में भी हम ऐसा देख चुके हैं कि बिहार के कई सारे प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया गया था. इन सबके अलावा, दरभंगा एम्स की बात हो, पटना में नेत्र अस्पताल के शुभारंभ की बात हो या फिर मिथिलांचल को बाढ़ से निजात दिलाने की पहल हो, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रस्ताव भेजते ही मोदी सरकार तत्काल फैसला ले लेती है.


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मोदी सरकार ने 24 अक्टूबर को नरकटियागंज से दरभंगा वाया रक्सौल, सीतामढ़ी रेलवे रूट डबल करने का प्रस्ताव पास कर दिया. 256 किलोमीटर की रेलवे लाइन दोहरीकरण में मोदी सरकार 4553 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है. इस प्रस्ताव के कैबिनेट से पास होते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा, 22.09.2024 को पत्र के माध्यम से मैंने आदरणीय प्रधानमंत्री जी से मां सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी (पुनौरा धाम) के लिए रेल सम्पर्कता के संबंध में अनुरोध किया था. आज अयोध्या से मां सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी तक 4,553 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 256 किलोमीटर की रेल लाइन के दोहरीकरण का फैसला केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. यह फैसला स्वागतयोग्य है. इस रेल मार्ग के बन जाने से श्रद्धालुओं को अयोध्या के साथ ही मां सीता की जन्मस्थली पुनौरा धाम आने में सुविधा होगी. इसके लिये मैं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं.


बता दें कि मोदी सरकार ने गुरुवार को उत्तर बिहार के लोगों को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा देते हुए नेपाल सीमा से लगे नरकटियागंज, रक्सौल, सीतामढ़ी, दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर रेलवे लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी है. इस प्रोजेक्ट पर 4553 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस फैसले से नेपाल सीमा के आसपास रहने वाले लोगों की वर्षों पुरानी तमन्ना पूरी हो सकेगी. यह प्रोजेक्ट चंपारण के दोनों जिले पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण के साथ मिथिलांचल के दो जिले सीतामढ़ी, दरभंगा के अलावा मुजफ्फरपुर को भी जबर्दस्त फायदा देने वाला है.


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विपक्ष भी मोदी सरकार पर आरोप लगा रहा है कि आजकल बिहार और आंध्र प्रदेश पर ज्यादा मेहरबानी हो रही है और अन्य प्रदेशों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसका अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं कि विपक्ष ऐसा आरोप क्यों लगा रहा है. दरअसल, इस साल हुए चुनाव में मोदी सरकार बहुमत से चूक गई है और सरकार में रहने के लिए उसे अपने सहयोगियों पर निर्भर होना पड़ रहा है. एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू हैं, जो मोदी सरकार का आंख मूंदकर समर्थन कर रहे हैं. अब समर्थन कर रहे हैं तो इन राज्यों पर मोदी सरकार की मेहरबानी भी बरस रही है. विरोधियों को जो कहना है, कहने दो. इसी बहाने जनता का भला तो हो ही रहा है.


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