JDU Politics: कुछ तो गड़बड़ चल रहा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिसे पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया, विधायक संजीव उन्हीं के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोले हुए हैं और उनकी भूमिहारों के खिलाफ की गई टिप्पणी को तूल दे रहे हैं. माना जा रहा है कि विधायक संजीव के तेवर बता रहे हैं कि जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आएगा, ये सब उठापटक और तेज हो सकती है. हालांकि संजीव कहते हैं कि पार्टी की स्थिति एकदम बुलंद है पर साथ में वे यह भी कहते हैं कि पार्टी में कुछ लोग हैं जो पार्टी में रहकर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और भूमिहारों के खिलाफ बयान देते हैं. मैं पहला शख्स था, जिसने उनके बयान का विरोध किया था. 


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कौन हैं विधायक डॉ. संजीव 


8 नवंबर, 1979 को पैदा होने वाले डॉ. संजीव विधानसभा चुनाव 2020 में खगड़िया के परबत्ता से विधायक चुने गए थे. उनके पिता रामानंद प्रसाद भी परबत्ता से 5 बार विधायक रह चुके थे. नीतीश कुमार की सरकार में रामानंद प्रसाद परिवहन मंत्री भी रहे थे. डॉ. संजीव ने किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल और सेठ गोवर्धनदास सुदंरदास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. अभी वे एक पैथोलॉजी सेंटर चलाते हैं.


संजीव ने किसको चिंटू मिंटू कहा?


विधायक संजीव ने यहां तक कह डाला कि कोई नेता या मंत्री भूमिहारों को लेकर उल्टा सीधा बोलता है, तो भूमिहार समाज में इसको लेकर भारी नाराजगी है. हालांकि संजीव ने स्पष्ट किया कि भूमिहारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से किसी भी प्रकार की कोई नाराजगी नहीं है. विधायक संजीव ने यहां तक कहा कि जो चिंटू मिंटू हैं, उनके ही बारे में बोल रहे हैं.


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भूमिहार हमेशा से एनडीए के साथ


विधायक संजीव का कहना है कि ऐसे लोगों के बोलने से बहुत असर होता है, जो गलत है. उन्होंने कहा कि भूमिहार हमेशा से एनडीए के साथ रहा है. जब जब नीतीश कुमार की सरकार बनी है, भूमिहारों का साथ हमेशा सरकार को मिलता रहा है. विधायक संजीव ने अशोक चौधरी को जेडीयू का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. पार्टी का यह कदम मेरे समझ से परे है.


बिना नाम लिए बिना पेंदी के लोटा बताया 


अशोक चौधरी को लेकर डॉ. संजीव कितना भरे हुए हैं, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिना नाम लेते हुए वे बिना पेंदी का लोटा बताते हैं. वे कहते हैं कि ऐसे लोगों का कोई आधार नहीं है. एक दो हिजड़े उनकी दरबारी करते हैं तो ये खुद को बड़ा नेता समझने लगे हैं. बिहार में शराबबंदी है तो ये विदेश में जाम छलका रहे हैं.


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