Modi Government Increased Caste Discrimination: 2014 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात को छोड़कर देश की राजनीति में आए तो जनता ने उनको अपने सिर-आंखों पर बिठाया. जनता ने जाति, धर्म के बंधन से ऊपर उठकर बीजेपी को वोट किया. 2019 में विपक्ष ने मिलकर मोदी को सत्ता से बाहर करना चाहा. एकजुट विपक्ष की घेराबंदी में बीजेपी फंसती नजर आ रही थी लेकिन एक बार फिर से मोदी मैजिक लोगों के सिर चढ़कर बोला. अब 2024 में विपक्ष फिर से मोदी को घेरने की तैयारी कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार में जातीय भेदभाव बढ़ा है. 


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इस बात में कितनी सच्चाई है, इसकी पड़ताल सीवोटर ने अपने एक सर्वे में किया. सीवोटर के सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं. सीवोटर सर्वे में खुलासा हुआ है कि करीब 46.8 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मोदी सरकार में जातिगत भेदभाव बढ़ा है, जबकि लगभग 30 प्रतिशत लोगों ने अलग राय दी है. सर्वे में 18.8 प्रतिशत लोगों को लगता है कि जातिगत भेदभाव एक हद तक बढ़ गया है, जबकि 5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं कर सकते. 


सर्वे में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय में 75.6 प्रतिशत, ईसाई समुदाय में 68.5 प्रतिशत, अनुसूचित जाति/दलित वर्ग में 53.5 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग में 48.1 प्रतिशत भी महसूस करते हैं कि पिछले 9 वर्षों में जातिगत भेदभाव बढ़ा है. सर्वे के अनुसार, 18 से 24 आयु वर्ग और 25 और 34 वर्ष के बीच के 52 प्रतिशत से अधिक युवाओं का मानना है कि पिछले नौ वर्षों में जातिगत भेदभाव बढ़ा है, जबकि 18 से 24 आयु वर्ग के 21.6 प्रतिशत युवा और 25 से 34 आयु वर्ग के 24.5 प्रतिशत युवाओं की अलग राय है.


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45 से 54 वर्ष की आयु के 44.6 प्रतिशत लोगों को लगता है कि पिछले 9 वर्षों में जातिगत भेदभाव बढ़ा है. सर्वे में यह भी कहा गया है कि मध्यम आय वर्ग में 48.9 प्रतिशत और निम्न आय वर्ग में 46.6 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पिछले 9 वर्षों में जातिगत भेदभाव बढ़ा है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 48.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 43.5 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पिछले 9 वर्षों में जातिगत भेदभाव बढ़ गया है. साथ ही लगभग 28 प्रतिशत NDA समर्थकों का मानना है कि बीजेपी शासन के तहत जातिगत भेदभाव में वृद्धि हुई है, जबकि 43.2 प्रतिशत लोगों की अलग राय है.