Sanjay Jha: मैथिली भाषा को संजय झा का प्रयास सराहनीय! जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष ने किया बड़ा खुलासा
Sanjay Jha News: जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने बताया कि वह 2018 से मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं.
Sanjay Jha News: बिहार में मैथिली भाषा को लेकर जारी राजनीति के बीच जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने राजद नेता तेजस्वी यादव के दावों की पोल खोल दी है. उन्होंने बताया कि मैथिली भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन शुरू से मेरी शीर्ष प्राथमिकता रही है. इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए मैंने वर्ष 2018 में ही तैयार करवा दिया था. मेरे प्रयासों से केंद्र सरकार द्वारा गठित मैथिली के विद्वानों की विशेषज्ञ समिति ने 31 अगस्त 2018 को पूर्ण की गई. जेडीयू कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि मैंने अपनी रिपोर्ट में जो 11 सिफारिशें की थीं, उनमें पहली सिफारिश थी- 'मैथिली भाषा लगभग 1300 वर्ष पुरानी है और इसके साहित्य का विकास स्वतंत्र रूप से अनवरत होता रहा है. अत: इसे शास्त्रीय भाषा की कोटि में रखा जाए.'
उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों में समिति की कुछ सिफारिशों पर काम हुए हैं, लेकिन इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है. संजय झा ने कहा कि अब समिति की सिफारिशों के अनुरूप मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए जल्द ही माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी से मिलूंगा. उन्होंने कहा कि मेरे बहुत से स्नेहीजनों को स्मरण होगा कि मैंने 19 मार्च 2018 को दिल्ली में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी से उनके दफ्तर में मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने तथा उसके लिए स्थायी तौर पर फंड आवंटित करने का अनुरोध किया था.
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संजय झा ने कहा कि सौम्य स्वभाव के धनी श्री जावड़ेकर जी ने मेरे ज्ञापन को सहर्ष स्वीकार करते हुए मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए मैथिल विद्वानों को आमंत्रित कर विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश जारी कर दिये थे और इसके लिए नाम सुझाने का जिम्मा मुझे ही सौंप दिया था. मैंने विशेषज्ञ समिति के गठन के लिए दरभंगा में मैथिल समाज के कई विद्वानों से मुलाकात कर विस्तारपूर्वक चर्चा की थी. उस दौरान मैथिली के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं मूर्धन्य विद्वान डॉ रामदेव झा जी से भी मेरी बात हुई थी, और उनसे इस समिति में शामिल होने का आग्रह किया था. लेकिन, उन्होंने स्वास्थ्य और उम्र की वजह से असमर्थता व्यक्त करते हुए अपना आशीर्वाद दिया और कुछ नामों के सुझाव दिए थे. मैंने सभी विद्वानों से व्यक्तिगत स्तर पर बात कर उनसे इस यज्ञ में शामिल होने के लिए आग्रह किया.
मैथिली के कई विद्वानों से गहन चर्चा के उपरांत मैंने 18 मई 2018 को केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख कर विशेषज्ञ समिति के लिए चार नाम सुझाये थे, जिनमें एलएनएमयू के मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ रमण झा, संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ पं. शशिनाथ झा, एलएनएमयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ रत्नेश्वर मिश्र और महावीर मंदिर न्यास के प्रकाशन विभाग के पदाधिकारी पंडित भवनाथ झा के नाम शामिल थे. इस पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 29 मई 2018 को विशेषज्ञ समिति गठित कर दी गई, जिसमें मैथिली भाषा के उक्त चारो विद्वानों को शामिल किया गया था.
मैथिली भाषा एवं लिपि के संरक्षण, संवर्धन तथा विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति में शामिल चारो विद्वानों से मैंने नई दिल्ली में अपने आवास पर 5 जुलाई 2018 को मुलाकात कर विस्तृत विचार-विमर्श किया. समिति ने गहन मंथन के बाद 31 अगस्त 2018 को अपनी रिपोर्ट फाइनल कर उसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को सौंप दी थी. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि #मैथिली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अब तक जितने भी काम हुए हैं, एनडीए की राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा ही किये गये हैं. माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की पहल पर पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हम मिथिलावासियों की दशकों से लंबित मांग को पूरा करते हुए मैथिली भाषा को संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल किया था.
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जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में सरकार बनी, तब उन्होंने मैथिली को पुन: बीपीएससी के सिलेबस में शामिल किया; जिसे पूर्व की कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार ने सिलेबस से हटा दिया था. मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर सौराठ (मधुबनी) में मिथिला चित्रकला संस्थान और मिथिला ललितकला संग्रहालय की स्थापना की गई, जो प्राचीन एवं विश्वविख्यात मिथिला चित्रकला को संरक्षित करने तथा मिथिला की कला-संस्कृति के संवर्धन की दिशा में आजादी के बाद की सबसे बड़ी एवं ऐतिहासिक पहल है. मुझे विश्वास है, केंद्र की एनडीए सरकार विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी देगी.
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