पीएफआई को बिहार में सियासी पारा चढ़ा, प्रतिबंध को लेकर जेडीयू-बीजेपी में तकरार बढ़ी
मंत्री जामा खान ने कहा, `आरएसएस, बजरंग दल या पीएफआई जैसे कोई भी संगठन, वे राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं. इस लाइन पर भी जांच होनी चाहिए.`
पटना: पटना के फुलवारी शरीफ में एक संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद, बिहार के दो सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगियों- भाजपा और जद (यू) के बीच पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध को लेकर असहमति है.
राज्य के मंत्री जीवेश मिश्रा, राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और विधायक हरि भूषण ठाकुर और अन्य जैसे भाजपा नेता पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, जबकि जनता दल-यूनाइटेड के नेतृत्व को अभी फैसला करना है.
जद (यू) के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जामा खान ने कहा, 'वर्तमान में जांच चल रही है. इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि संगठन (पीएफआई) राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल है या नहीं. इसलिए, आप यह घोषणा नहीं कर सकते हैं कि संगठन अवैध है. किसी संगठन पर केवल कुछ लोगों की धारणा के आधार पर प्रतिबंध कैसे लगाया जा सकता है. अधिकारियों और अदालतों द्वारा इसके अपराध सिद्ध होने के बाद ही संगठन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.'
'आरएसएस-बजरंग दल की हो जांच'
खान ने कहा, 'आरएसएस, बजरंग दल या पीएफआई जैसे कोई भी संगठन, वे राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं. इस लाइन पर भी जांच होनी चाहिए. अगर कोई संगठन गलत काम में शामिल है, तो राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी. किसी राजनीतिक दल के कुछ नेताओं की मांग पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है.'
BJP ने PFI पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की
उधर, भाजपा मंत्री मिश्रा ने पीएफआई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा, 'सुरक्षा एजेंसियों ने फुलवारी शरीफ के पीएफआई आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. एनआईए इस मामले की जांच कर रही है. अगर भविष्य में इसके गुर्गों के आतंकी संबंध साबित होंगे, तो केंद्र इस पर प्रतिबंध लगाएगा. हम पहले से ही ऐसे संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.'
मिश्रा ने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से भी अपील करता हूं कि पीएफआई जैसे संगठनों की पहचान करें और इसे तुरंत प्रतिबंधित करें. जब नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार सत्ता में आई थी, तो उसने ऐसे संगठनों को नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास किया था. उन्होंने भाजपा नेताओं को जान से मारने की धमकी दी, लेकिन वे चिंतित नहीं थे.'
जायसवाल ने आरोप लगाया कि बिहार में 'बड़ी संख्या में स्लीपर सेल' सक्रिय हैं. उन्होंने कहा, 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया फुलवारी शरीफ मॉड्यूल पटना में विकसित हुआ. मुझे उम्मीद है कि सुरक्षा एजेंसियां बिहार के हर जिले में विकसित आतंकी मॉड्यूल (Bihar Terror Module) की श्रृंखला को तोड़ देंगी. यह देश के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश को नष्ट करने के लिए है, इसे रोका जाएगा.'
मदरसों की हो जांच: बीजेपी
उन्होंने कहा, 'जिसने भी 2016 से 2022 तक पीएफआई के तहत प्रशिक्षण लिया था, उसे बेनकाब कर गिरफ्तार कर लिया जाएगा.' भाजपा नेता नीरज कुमार बबलू ने मांग की है कि सुरक्षा एजेंसियां बिहार में मौजूद सभी मदरसों की जांच करें.
उन्होंने कहा, 'बिहार में कई मदरसों में उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली है, जबकि उनमें से कुछ में गड़बड़ माहौल है. इसलिए, उन मदरसों की जांच की जरूरत है और उन्हें खुफिया एजेंसियों की कड़ी निगरानी में रखा जाना चाहिए.'
नीतीश कुमार सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा रही है? भाजपा नेताओं द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की जोरदार मांग के बावजूद जद-यू कुछ और ही मानता है. पार्टी थिंक टैंक का मानना है कि केवल आरोपों के आधार पर किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाना आगामी चुनावों में खतरनाक साबित हो सकता है.
ड्राइविंग सीट पर जदयू
बिहार में जद (यू) ड्राइविंग सीट पर है लेकिन यह केवल सौदेबाजी के कारण है न कि अपनी राजनीतिक ताकत के कारण. पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन किया और केवल 43 सीटों पर जीत हासिल की. यह उपचुनावों में दो और सीटें जीतने में कामयाब रही और 45 तक पहुंच गई, और बाद में लोजपा विधायक और एक निर्दलीय विधायक का विलय कर 47 के आंकड़े पर पहुंच गया. फिर भी, यह सदन में तीसरे स्थान पर है, क्योंकि राजद के पास 80 और भाजपा के पास 77 विधायक हैं.
कई मुद्दों पर बीजेपी-जेडीयू की अलग राय
जद (यू) नेतृत्व का मानना है कि पार्टी विपक्ष के कारण नहीं बल्कि भाजपा के 'घातक' राजनीतिक कदमों के कारण तीसरे स्थान पर पहुंची है. पिछले 21 महीनों में ये दोनों पार्टियां लगभग हर एक मुद्दे पर अक्सर कीचड़ उछालती रही हैं.
(आईएएनएस)